बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय अपने छह साथियों पूर्व ब्लाक प्रमुख श्यामाशंकर राय, रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव व उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय के साथ 29 नवम्बर 2005 को भांवरकोल ब्लाक के सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट प्रतियोगिता का उद्घाटन करने जा रहे थे। बीजेपी विधायक का काफिला अभी कोटवा माग्र के पास पहुंचा था कि कुछ बदमाशों ने AK-47 एंव अन्य स्वचालित हथियारों से बस्ट फायरिंग कर दी थी। करीब 400 राउंड गोलियां चलायी गयी थी। एक साथ इतनी अधिक असलहों से फायरिंग की गयी थी कि बीजेपी विधायक व उनके लोगों को जवाब देने का भी मौका नहीं मिल पाया था। मौके पर ही बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत छह लोगों की मौत हो गयी थी। इस जघन्य हत्याकांड में बाहुबली मुख्तार अंसारी, सुपारी किंग मुन्ना बजरंगी, संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, अफजाल अंसारी, रामु मल्लाह आदि लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले की जांच सीबीआई को सौपी गयी थी लेकिन सीबीआई इस मामले में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में नाकामयाब रही और दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपी को बरी कर दिया। मुन्ना बजंरगी की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य आरोपी रहे लोगों के लिए कोर्ट का निर्णय बड़ा राहत लेकर आया है। मुन्ना बजरंगी हत्याकांड में ही बाहुबली मुख्तार अंसारी लंबे समय से जेल में बंद है।
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गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा को लगा सबसे बड़ा झटका
गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा को कोर्ट के फैसले से सबसे बड़ा झटका लग गया है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के करीबी माने जाने वाले मनोज सिन्हा लगातार इस मुकदमे की पैरवी कर रहे थे। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय व गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा ही इस केस की पैरवी कर रहे थे लेकिन आरोपियों को सजा नहीं दिला पाये।
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गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा को कोर्ट के फैसले से सबसे बड़ा झटका लग गया है। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय के करीबी माने जाने वाले मनोज सिन्हा लगातार इस मुकदमे की पैरवी कर रहे थे। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय व गाजीपुर के पूर्व सांसद मनोज सिन्हा ही इस केस की पैरवी कर रहे थे लेकिन आरोपियों को सजा नहीं दिला पाये।
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