वाराणसी। एक तरफ तीन दशक बीत गए गंगा निर्मलीकरण योजना को शुरू हुए पर हाल है कि गंगा साफ होने की बजाय और मैली होती जा रही हैं। हाल ही में हुए शोध में बताया गया है कि काशी में गंगा पहले से तीन गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई हैं। ये उस काशी का हाल है जहां के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने सांसद बनने के बाद पहली बार वाराणसी आगमन पर गंगा तीरे कहा था कि मुझे तो गंगा ने बुलाया है, न मैं खुद आया हूं न और किसी ने भेजा है। तब उन्होंने मां गंगा की निर्मलता की सौगंध खाई थी दशाश्वमेध घाट पर। इतना ही नहीं अस्सी घाट पर फावड़ा चला कर घाट सफाई का आगाज किया था। लेकिन न गंगा निर्मलीकरण की दिशा में कुछ काम हुआ न घाटों की सफाई ही शुरू हुई। बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. बीडी त्रिपाठी बताते हैं कि हर हाल में गंगा जल में बायो केमिकल ऑक्सीनज डिमांड (बीओडी) तीन मिलिग्राम प्रतिलीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन हाल ही में हुए सर्वे में पाया गया है कि काशी में प्रवेश करते वक्त रामनगर के सामनेघाट के पास तो गंगा जल में बीओडी तीन मिलीग्राम प्रतिलीटर है लेकिन सामने घाट से राजघाट (काशी में गंगा का अंतिम पड़ाव) के बीच 3.6 से 10 मिलीग्राम प्रतिलीटर हो गया है बीओडी। यानी पीएम की काशी में ही गंगा का प्रदूषण तीन गुना तक बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि यह सब गंगा के प्रवाह और घुलनशीलता में कमी के चलते है। रोजाना 2000 एमएलडी सीवेज और औद्योगिक कचरा गिर रहा गंगा में पीएम पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी ने गंगा रक्षा का जो संकल्प लिया लेकिन तब से अब तक 20महीने गुजर गए पर नई सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे लगे कि वह गंगा रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इन 20महीनों में एक नए एसटीपी की स्थापना तो दूर उसके लिए जमीन तक का निर्धारण नहीं हो सका है। गंगा विज्ञानी प्रो त्रिपाठी बताते हैं कि गंगा के तटवर्ती शहरों से रोजाना 3000 एमएलडी सीवेज और औद्योगिक कचरा निकलता है जिसमें से 2000 एमएलडी कचरा बगैर शोधन के गंगा में गिर रहा। सिर्फ 1000 एमएलडी कचरा शोधित करने का इंतजाम है। सिर्फ बनारस में रोज 273 एमएलडी गैर शोधित कचरा गिरता है बनारस में रोजाना 300 मिलियन लीटर (एमएलडी ) सीवेज और 75 एमएलडी औद्योगिक कचरा निकलता है, इसमें विषाक्त लेड, कैडमियम, क्रोमियम, निकिल, कापर आदि जहरीले रसायन शामिल हैं। यहां तीन ट्रीटमेंट प्लांट हैं। उसमें दीनापुर में 80 एमएलडी, भगवानपुर में 10 और डीरेका ट्रीटमेंट प्लांट की 12 एमएलडी शोधन क्षमता है, यानी कुल 102 एमएलडी सीवेज और औद्योगिक कचरा शोधित करने का अॉन पेपर रिकार्ड है, जबकि 273 एमएलडी सीवेज और औद्योगिक कचरा सीधे गंगा में गिर रहा है।