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वाराणसी

मसाने की होली: काशी में जलती चिताओं के बीच भस्म से खेली गई होली, गूंज उठा हर-हर महादेव

दुनिया में सिर्फ काशी में ही श्मशान घाट पर जलती चिताओं के बीच चिता की भस्म से होली खेली जाती है
रंगभरी एकादशी के अगले दिन मणिकर्णिका घाट पर बाबा मशाननाथ की पूजा के साथ होती है मसाने की होली

वाराणसीMar 25, 2021 / 07:12 pm

रफतउद्दीन फरीद

Masaane ki Holi

मसाने की होली

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

वाराणसी. काशी में होली का जश्न (Holi Celebration in Kashi) शुरू हो चुका है। यहां भक्त बाबा संग होली खेल रहे हैं। एक दिन पहले शिवभक्तों ने बाबा संग गुलाल से होली खेली तो उसके दूसरे दिन महादेव के भक्तों ने श्मशान में जलती चिताओं के बीच चिता की भस्म (Bhasma Holi) से होली खेली। इसे मसाने की होली (Masane ki Holi) भी कहा जाता है। इस दौरान पूरा मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghaat) व गलियां हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। हर-हर ओर डमरू की आवाज के साथ चिता की भस्म से होली खेली जा रही थी। इसका हिस्सा बनने ओर इसे देखने के लिये घाट ओर वहां तक आने वाली गलियां हजारों लोगों से अटी पड़ी थीं। परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भगवान शिव स्वरूप बाबा मशाननाथ की पूजा कर श्मशान घाट (मणिकर्णिका घाट) पर चिता की भस्म से उनके गण होली खेलते हैं।

 

Masaane ki Holi


गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर देश में अपनी तरह की अकेली जलती चिताओं के बीच भस्म से होली खेली गई। इसके पहले सुबह से ही बाबा मशाननाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना शुरू हुई। बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली (शिव शक्ति) की मध्याह्न आरती कर बाबा को जया, विजया, मिष्ठान, व सोमरस का भोग लगाया गया। बाबा व माता को चिता भस्म व गुलाल चढाने के साथ ही होली शुरू हो गई ओर पूरा मंदिर प्रांगण और शवदाह स्थल भस्म से भर गया।

 

 

यह कहा जाता हैं कि बाबा दोपहर में मध्याह्न स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं। इसके बाद सभी तीर्थ स्नान करके यहां से पुन्य लेकर अपने स्थान जाते हैं और वहां स्नान करने वालों को वह पुण्य बांटते हैं। बाबा स्नान के बाद अपने प्रिय गणों के साथ मणिकर्णिका महामशान पर आकर चिता की भस्म से होली खेलते है। वर्षों की यह परम्परा अनादि काल से यहा भव्य रूप से मनायी जाती रही हैं।

 

Masaane ki Holi


आरती से पहले प्रार्थना की गई कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से मानव जाति पर आए ख़तरे से देवाधिदेव महादेव, महाकाल सब की रक्षा करें।बिमारी को जड़मूल से नष्ट करें। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दीर्घायु व शसक्त बनाए रखने ओर विश्व जगत का कल्याण करने की प्रार्थना की गई।


गुलशन कपूर ने बताया कि काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गवना (विदाई) कराकर अपने धाम लाते हैं, जिसे काशीवासी उत्सव के रूप में मनाते हैं ओर इसी से रंग का त्योहार होली का प्रारंभ माना जाता है। इस उत्सव में देवी, देवता, यछ, गन्धर्व, मनुष्य और जो शामिल नहीं होते हैं वो हैं बाबा के प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच, दृश्य, अदृश्य, शक्तियां जिन्हें बाबा ने स्वयं मनुष्यों के बीच जाने से रोक रखा है। सब का बेडा पार लगाने वाले शिवशंम्भू उन सभी के साथ चिता भस्म की होली खेलने मशान आते हैं।

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