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गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर देश में अपनी तरह की अकेली जलती चिताओं के बीच भस्म से होली खेली गई। इसके पहले सुबह से ही बाबा मशाननाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना शुरू हुई। बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली (शिव शक्ति) की मध्याह्न आरती कर बाबा को जया, विजया, मिष्ठान, व सोमरस का भोग लगाया गया। बाबा व माता को चिता भस्म व गुलाल चढाने के साथ ही होली शुरू हो गई ओर पूरा मंदिर प्रांगण और शवदाह स्थल भस्म से भर गया।
यह कहा जाता हैं कि बाबा दोपहर में मध्याह्न स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं। इसके बाद सभी तीर्थ स्नान करके यहां से पुन्य लेकर अपने स्थान जाते हैं और वहां स्नान करने वालों को वह पुण्य बांटते हैं। बाबा स्नान के बाद अपने प्रिय गणों के साथ मणिकर्णिका महामशान पर आकर चिता की भस्म से होली खेलते है। वर्षों की यह परम्परा अनादि काल से यहा भव्य रूप से मनायी जाती रही हैं।
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आरती से पहले प्रार्थना की गई कि दुनिया भर में कोरोना वायरस से मानव जाति पर आए ख़तरे से देवाधिदेव महादेव, महाकाल सब की रक्षा करें।बिमारी को जड़मूल से नष्ट करें। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दीर्घायु व शसक्त बनाए रखने ओर विश्व जगत का कल्याण करने की प्रार्थना की गई।
गुलशन कपूर ने बताया कि काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गवना (विदाई) कराकर अपने धाम लाते हैं, जिसे काशीवासी उत्सव के रूप में मनाते हैं ओर इसी से रंग का त्योहार होली का प्रारंभ माना जाता है। इस उत्सव में देवी, देवता, यछ, गन्धर्व, मनुष्य और जो शामिल नहीं होते हैं वो हैं बाबा के प्रिय गण भूत, प्रेत, पिशाच, दृश्य, अदृश्य, शक्तियां जिन्हें बाबा ने स्वयं मनुष्यों के बीच जाने से रोक रखा है। सब का बेडा पार लगाने वाले शिवशंम्भू उन सभी के साथ चिता भस्म की होली खेलने मशान आते हैं।