काशी विश्वनाथ को उज्जैन के महाकाल से जोडऩे के लिए ही Mahakal Express चलायी जायेगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खुद इस नयी ट्रेन के संचालन की घोषणा की थी। ट्रेन का संचालन निजी हाथों में होगा। देश में अभी तक दो ट्रेन का संचालन निजी हाथों में सौपा जा चुका है। ट्रेन सप्ताह में तीन दिन चलेगी। रात भर में यह काशी से उज्जैन व उज्जैन से काशी का सफर पूरा कर लेगी। कैंट रेलवे स्टेशन से इस ट्रेन को चलाने की योजना है। चर्चा है कि यह ट्रेन लखनऊ व प्रयागराज दोन रूटो पर चलायी जायेगी। वंदे भारत की तरह ही ट्रेन के टिकट में नाश्ते व भोजन का दाम जुड़ा रहेगा।
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ट्रेन में लगाये जायेंगे हमसफर कोच
ट्रेन में हमसफर कोच लगाये जायेंगे। सारे कोच थर्ड एसी के तर्ज पर होंगे। शुरूआत में एसी फस्र्ट व एसी सेकेंड कोच होने की संभावना नहीं है। ट्रेन का संचालन आरंभ हो जाने के बाद फस्र्ट व सेकेंड एसी कोच को लेकर कोई निर्णय हो सकता है। अभी बनारस से उज्जैन के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। इस रूट पर सफर करने में 15 से अधिक घंटे लगते हैं। नयी ट्रेन के आरंभ हो जाने के बाद इस रूट पर 10 घंटे से कम समय में लोगों को सफर पूरा हो जायेगा। रेलवे चाहता है कि ट्रेन का समय ऐसा रखा जाये कि श्रद्धालु एक जगह दर्शन करने के बाद ट्रेन पकड़ कर दूसरे ज्योतिर्लिंग पहुंच सके।
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ट्रेन में हमसफर कोच लगाये जायेंगे। सारे कोच थर्ड एसी के तर्ज पर होंगे। शुरूआत में एसी फस्र्ट व एसी सेकेंड कोच होने की संभावना नहीं है। ट्रेन का संचालन आरंभ हो जाने के बाद फस्र्ट व सेकेंड एसी कोच को लेकर कोई निर्णय हो सकता है। अभी बनारस से उज्जैन के लिए कोई सीधी ट्रेन नहीं है। इस रूट पर सफर करने में 15 से अधिक घंटे लगते हैं। नयी ट्रेन के आरंभ हो जाने के बाद इस रूट पर 10 घंटे से कम समय में लोगों को सफर पूरा हो जायेगा। रेलवे चाहता है कि ट्रेन का समय ऐसा रखा जाये कि श्रद्धालु एक जगह दर्शन करने के बाद ट्रेन पकड़ कर दूसरे ज्योतिर्लिंग पहुंच सके।
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