इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी ने अपने मीडिया पैनलिस्ट (प्रवक्ता) की नई लिस्ट जारी की है, जिसमें इस रणनीति की झलक साफ दिखायी देती है। लिस्ट में कुल 24 पैनलिस्टों के नाम हैं। इसी लिस्ट में एक नाम है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के सपा नेता मनोज राय धूपचंडी का। धूपचंडी को यह जिम्मेदारी दोबारा दी गयी है। अखिलेश यादव ने इस युवा नेता पर भरोसा जताया है। ऐसा कहा जाता है कि खुद अखिलेश यादव भी मनोज राय की समाजवादी पार्टी के प्रति वफादारी और उनकी सियासी सूझबूझ से से वाकिफ हैं। यही वजह है कि उनकी जिम्मेदारी बरकरार है।
मनोज राय धूपचंडी ने अपना सियासी सफर भी एक तरह से समाजवादी पार्टी के सियासी सफर के साथ ही शुरू किया था। 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन के साथ ही वह एक कार्यकर्ता के रूप में सपा के साथ जुड़ गए। 1995 में पहली बार नगर निगम के पार्षद चुने गए। कल्याण सिंह सरकार में कुशीनगर देवरिया के रामकोला में किसानों पर गोली चलने की घटना के बाद जब
मुलायम सिंह यादव वहां जा रहे थे तो उन्हें गिरफ्तार कर बनारस के सेंट्रल जेल में रखा गया। इसके बाद सपा कार्यकर्ता अपने नेता को छुड़ाने के लिये सड़कों पर आए। मनोज वह कार्यकर्ता थे जिन्होंने नेता जी को रिहा कराने के लिये आत्मदाह की कोशिश की थी।
इसके बाद से मनोज मुलायम सिंह यादव की नजर में आए। नेता जी ने कई मंचों से मनोज राय का नाम भी लिया। जब अखिलेश यादव प्रदेश अध्यक्ष बने तो उन्हें प्रदेश सचिव बनाया गया। 2012 में वाराणसी की रोहनिया विधानसभा से सपा ने अनुप्रिया पटेल के खिलाफ चुनाव लड़वाया, जिसमें मनोज हार गए। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें जनजातीय एवं लोककला संस्कृति संस्थान चेयरमैन बनाकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री का पद दिया। इसके अलावा मनोज आजमगढ़, भदोही, मिर्जापुर मंडल, हमीरपुर और मऊ में संगठल प्रभारी भी रहे।