वाराणसी

सावन में काशीः गंगा-गोमती संगम तट पर हैं मार्कंडेय महादेव मंदिर, जानें क्या है महात्म्य, क्यों बाबा विश्वनाथ से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं यहां

पूर्वांचल का बड़ा तीर्थ स्थल, जहां सावन के हर सोमवार को ही नहीं बल्कि पूरे महीने पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। ये तीर्थ स्थल वाराणसी-गाजीपुर मार्ग पर स्थित गंगा-गोमती के तट पर स्थित है। ये मंदिर markandeya mahadev मंदिर के नाम से विख्यात है। तो जानते हैं धर्म शास्त्रों में क्या है इस मंदिर का महात्म्य….

वाराणसीJul 09, 2022 / 01:01 pm

Ajay Chaturvedi

श्री मारकंडेय महादेव

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. जिले के पूर्वी छोर पर गाजीपुर की सीमा से लगे सुविख्यात गांव कैथी में पवित्र आदि गंगा और गोमती के पावन संगम तट पर स्थित श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में एक है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष माने जाने वाले इस धाम की चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गई है। आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, भौगोलिक, शैक्षिक ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैसे तो इस धाम पर प्रतिमाह दोनों त्रयोदशी को मेला लगता है जिसमे लाखो दर्शनार्थी दूर-दूर से पहुंचते हैं। इसके अतिरिक्त वर्ष के दो महीने, सावन और कार्तिक में मास में पूरे महीने भर यहां मेला लगा रहता है। पिछले सालों तक श्री काशी विश्वनाथ से कहीं ज्यादा श्रद्धालु मारकंडेय महादेव आते रहे हैं। इस बार भी उम्मीद है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम से कमतर शिवभक्त नहीं जुटने वाले।
वाराणसी- गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित मार्कंडेय महादेव का मंदिर
लगभग 15000 की आबादी वाला कैथी गांव, वाराणसी- गाजीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के 28वें किलोमीटर पर स्थित है। राजवारी रेलवे स्टेशन से इस गांव की दूरी 2 किलोमीटर है, यहां के लोग विभिन्न क्षेत्रों में देश और विदेश में अपनी उत्कृष्ट योगदान दे रहे हैं और इसे स्थानीय लोग लोग बाबा मारकंडेश्वर महादेव की अनुकम्पा मानते है.।
सावन मेले की तैयारी जोरों पर

सावन में मेले के दृष्टिगत प्रशासन स्तर से सुरक्षा, सफाई, पेयजल, प्रकाश आदि व्यवस्था की जा रही रही है। गांव के मध्य से जाने वाली सडक को गड्ढामुक्त किया जा रहा है। गंगा घाट पट बैरिकेडिंग की जा रही है ताकि श्रद्धालु गहरे पानी में स्नान न करने जा सकें। चार पहिया वाहनों का प्रवेश पूरी तरह बंद रहेगा। वाहनों को धाम से दो किलोमीटर पहले राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही खड़ा करना होगा। रविवार की शाम से सोमवार की रात तक दो पहिया वाहन भी प्रतिबंधित रहेंगे।
श्री मारकंडेय महादेव
मार्कंडेय पुराण के अनुसार मार्कंडेय महादेव की महिमा, बाबा विश्वनाथ से पहले होती है पूजा

मार्कंडेय महादेव के बारे में मार्कंडेय पुराण में पूरी जानकारी उपलबध है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से प्राप्त एकमात्र पुत्र मारकंडेय की अल्पायु होने की जानकारी पर मृकंडू ऋषि चिंतित रहने लगे थे। पिता को चिंतित देख कर पुत्र मारकंडेय ने तप करने का हठ किया और गंगा-गोमती से संगम तट पर पार्थिव शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगे। 12 वर्ष की आयु पूरी होते ही यमराज के दूत मारकंडेय को अपने साथ ले जाने के लिए आए लेकिन भगवान शिव के कोप के कारण साथ ले न जा सके। भगवान शिव ने मार्कंडेय जी को अमरत्व का आशीर्वाद देते हुए कहा कि भक्त इस स्थान पर तुम्हारा धाम होगा जिसमे तुम्हारा स्थान मुझसे उंचा होगा। भक्त जन पहले तुम्हारी पूजा करेंगे फिर मेरा। मार्कंडेय महादेव धाम में आज भी पहले मारकंडेय जी जो गर्भ गृह में ताखे पर विराजमान हैं उनकी पूजा होती है फिर भगवान शिव की पूजा की जाती है।
श्री मारकंडेय महादेव
निःसंतान को यहां पूजान-अर्चन से मिलता है संतान सुख

मारकंडेय महादेव धाम में नियमित रूप से रुद्राभिषेक, शृंगार और पूजा अर्चना के अतिरिक्त संतान प्राप्ति के लिए हरिवंश पुराण का श्रवण और स्वास्थ्य लाभ और दीर्घ जीवन के लिए महामृत्युंजय अनुष्ठान कराने का विशेष महत्व है। दूर दूर से भक्त गण यहाँ अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पहुंचते हैं. सावन मास में प्रतिदिन हजारों की संख्या में कांवरिया यहां पहुचते हैं, गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ, सारंगनाथ और त्रिलोचन महादेव तक कावड़ यात्रा करने वालों की संख्या अधिक होती है. मान्यता है कि गंगा गोमती संगम स्थल से जल लेकर मार्कंडेय महादेव जी को अर्पित करने से सर्व सुख की प्राप्ति होती है। ऐसे में दूर दूर से भक्त गण यहां अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पहुंचते हैं। वाराणसी जिले में सबसे अधिक संख्या में भक्तों का जमावड़ा इस धाम पर होता है
सावन में रोजाना हजारों कांवरिया पहुंचते हैं जल चढाने

सावन मास में प्रतिदिन हजारों की संख्या में कांवरिया यहां पहुंचते हैं। मां गंगा का जल लेकर काशी विश्वनाथ, सारंगनाथ और त्रिलोचन महादेव तक कावड़ यात्रा करने वालों की संख्या अधिक होती है। मान्यता है कि गंगा- गोमती संगम स्थल से जल लेकर मार्कंडेय महादेव जी को अर्पित करने से सर्व सुख की प्राप्ति होती है।
महा शिवरात्रि के पर यहां लगता है दो दिवसीय मेला
महा शिवरात्रि के अवसर पर यहां दो दिवसीय मेला लगता है प्रथम दिन शिव बारात के रूप में लाखों पुरुष दर्शन पूजन के लिए पहुचते हैं। वहीं अगले दिन मंगलगीत गायन करती लाखों की संख्या में महिलाएं पूजन करती हैं।
मंदिर की देखरेख और मेले की व्यवस्था स्थानीय भूमिधरों के सहयोग से

श्री मार्कंडेय महादेव मंदिर की प्रबंध समिति के पदेन अध्यक्ष कलेक्टर, और सचिव उप जिलाधिकारी, सदर हैं। क्षेत्रीय सांसद, विधायक और जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान आदि इसके मानद सदस्य होते हैं। मंदिर की देखरेख और मेले की व्यवस्था स्थानीय भूमिधरों के सहयोग से प्रबंध समिति द्वारा की जाती है। मंदिर में दो सरकारी दानपात्र रखें हैं जिनमे प्राप्त राशि राजकीय कोष में जमा होती है जिसका उपयोग मंदिर की व्यवस्था में होता है। स्थानीय युवकों का व्यवस्था में विशेष योगदान रहता है।
संस्कृति व पर्यटन विभाग ने कराया है सौदर्यीकरण

भारत सरकार के संस्कृति विभाग व उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा इस धाम के विकास के लिए विगत वर्षों में कई प्रोजेक्ट के तहत सुंदरीकरण किया गया है जिससे बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आने लगे हैं। संगम घाट, मारकंडेय महादेव घाट पर बोटिंग, चिड़ियों को दाना खिलाने, तैराकी आदि का लुत्फ़ लेने वालों की संख्या में दिनोदिन इजाफा हो रहा है। पर्यटक परिजनों एवं बच्चों के साथ कैथी गंगा घाट से संगम घाट तक रिजर्व नाव द्वारा प्रवासी चिड़ियों को दाना खिलाते हुए गांगेय डॉल्फिन का भी अवलोकन करते हुए तैराकी का आनंद लेते हैं। युवाओं के समूह के लिए पिकनिक मनाने के लिए यह स्थान बहुत प्रचलित होता जा रहा है। मार्कंडेय महादेव घाट पर छाया और पेयजल जैसी सारी सुविधाएं और आवश्यक वस्तुओं की दुकानें होने के कारण यह स्थान पिकनिक करने वालो के लिए बहुत ही सुविधाजनक है। विभिन्न स्कूलों के बच्चे शैक्षिक भ्रमण के लिए यहाँ आते हैं जिससे उन्हें जल पारिस्थितिकी को समझने का अवसर प्राप्त होता है

Hindi News / Varanasi / सावन में काशीः गंगा-गोमती संगम तट पर हैं मार्कंडेय महादेव मंदिर, जानें क्या है महात्म्य, क्यों बाबा विश्वनाथ से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं यहां

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.