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वाराणसी

साल में सिर्फ चार दिन खुलता है काशी का अन्नपूर्णा मंदिर, धनतेरस का प्रसाद लेने देश दुनिया से पहुंचते हैं भक्त

Know About Annapurna Mandir of Varanasi and Its Importance- धनतेरस (Dhanteras) पर भक्त मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करते हैं। साल में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक देवी के इस स्वरूप का दीदार भक्तों को होता है। दर्शन करने आने वालों को मां के खजाने के रूप में चावल, धान का लावा और सिक्का (अठन्नी) दिया जाता है।

वाराणसीOct 26, 2021 / 12:40 pm

Karishma Lalwani

Annapurna Mandir Varanasi

Annapurna Mandir Varanasi

वाराणसी. Know About Annapurna Mandir of Varanasi and Its Importance. गंगा किनारे बसे बनारस अपने घाटों के अलावा देवी देवताओं के प्रसिद्ध मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। इन्हीं में से एक है माता अन्नपूर्णा का मंदिर (Annapurna Mandir)। माता अन्नपूर्णा को तीनों लोकों की माता माना जाता है। यह मंदिर अपने आप में बहुत खास है। धन त्रयोदशी के मौके पर अन्नपूर्णा मंदिर में विशेष पूजन किया जाता है। धनतेरस (Dhanteras) पर भक्त मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन करते हैं। साल में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक देवी के इस स्वरूप का दीदार भक्तों को होता है। दर्शन करने आने वालों को मां के खजाने के रूप में चावल, धान का लावा और सिक्का (अठन्नी) दिया जाता है। यह सिक्का भक्तों के लिए कुबेर से कम नहीं है। मान्यता है कि देवी के इस खजाने को जो भी भक्त पाता है उसे वह अपने लॉकर में रखता है। उस पर खजाने वाली देवी की कृपा बना रहती है और उसे धन-धान्य की कमी नहीं होती है। यही वजह है कि खजाने वाली इस देवी के दर्शन और खजाने के प्रसाद के लिए देश भर से भक्त काशी आते हैं। सुबह से शाम तक मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। अन्य दिनों में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतीकात्मक प्रतिमा की पूजा होती है।
साल में सिर्फ चार दिन खुलता है काशी का अन्नपूर्णा मंदिर, धनतेरस का प्रसाद लेने देश दुनिया से पहुंचते हैं भक्त
500 साल पुरानी मूर्तियां हैं स्थापित

परंपरा के अनुसार, मां अन्‍नपूर्णा की स्‍वर्ण प्रतिमा वाला मंदिर साल में धनतेरस के मौके पर ही चार दिन के लिए खुलता है। दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट महोत्‍सव के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस मंदिर में 500 साल पुरानी स्‍वर्ण मूर्तियां स्थापित हैं जो मां अन्‍नपूर्णा की मूर्ति के साथ ही विराजमान हैं। मां अन्‍नपूर्णा के सामने खप्‍पर लिए खड़े भगवान शिव अन्नदान की मुद्रा में है। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है।
साल में सिर्फ चार दिन खुलता है काशी का अन्नपूर्णा मंदिर, धनतेरस का प्रसाद लेने देश दुनिया से पहुंचते हैं भक्त
मंदिर को लेकर मान्यता

मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी के अनुसार, धनतेरस के दिन मंदिर का अनमोल खजाना खोला जाता है। इसका महत्व मंदिर से जुड़े पौराणिक कथाओं में है। माना जाता है कि एक बार काशी में अकाल पड़ा था। लोग भूखे मर रहे थे। तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ-साथ भगवान शिव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। यह भी कहा जाता है कि काशी में आने वाले हर किसी को अन्न मां के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है।

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