काशी विश्वनाथ मंदिर के मंहत आवास पर ही सारी परम्परा निभायी जाती थी लेकिन काशी विश्वनाथ धाम बनने के चलते महंत आवास को तोड़ा जायेगा। कुछ दिन पहले आवास का एक हिस्सा गिर गया था जिसमे बाबा की रजत सिंहासन दब गया था। वसंत पंचमी के एक दिन पहले ही बाबा की रजत प्रतिभा को रानी भवानी परिसर से निकाल कर टेढ़ीनीम पहुंचा दिया गया था और वसंत पंचमी की शाम को बाबा को तिलकोत्सव मनाया गया। सुबह के मुहूर्त में पूर्व परम्परा के अनुसार बाबा का षोडशोपचार पूजन और रुद्राभिषेक किया गया। दोपहर में बाबा को भोग लगाने के बाद नये वस्त्र धारण कराया गया। शाम छह बजे से बाबा का तिलकोत्सव आरंभ हुआ। इस दौरान बाबा के जयकारे से एक बार फिर काशी शिवमय हो गयी। भक्त भी नाचते-गाते बाबा को भजनों के माध्यम से नमन करने में जुटे रहे। शाम को गीतकार कन्हैया दुबे केडी के संयोजन में शिवांजलि संगीत सभा का आयोजन हुआ। जिसमे लोग भक्ति रस में गोते लगाते रहे।
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भव्य ढंग से सजायी गयी थी काशी विश्वनाथ की प्रतिमा
काशी विश्वनाथ की पंचवदन प्रतिमा को भव्य ढंग से सजाया गया था। परिसर में डमरू बज रहे थे। फल और मिष्ठान का भोग लगाने के बाद परम्पराओं के अनुसार तिलकोस्व हुआ। इसके बाद पूजन व आरती का क्रम देर तक चलता रहा। भक्तों में बाबा का प्रसाद भी वितरित किया गया।
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काशी विश्वनाथ की पंचवदन प्रतिमा को भव्य ढंग से सजाया गया था। परिसर में डमरू बज रहे थे। फल और मिष्ठान का भोग लगाने के बाद परम्पराओं के अनुसार तिलकोस्व हुआ। इसके बाद पूजन व आरती का क्रम देर तक चलता रहा। भक्तों में बाबा का प्रसाद भी वितरित किया गया।
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