वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर में गंगा जल बिना अधूरे हो जायेंगे महादेव, शिवलिंग को छूने से मिलता है मोक्ष

सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल मंदिर को लेकर जारी किया है निर्देश, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीOct 27, 2017 / 06:23 pm

Devesh Singh

काशी विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन के महाकाल मंदिर में आरो वाटर से जलाभिषेक करने का निर्देश जारी किया है। कोर्ट के अनुसार एक श्रद्धालु अधिकतम आधा लीटर जल का ही प्रयोग कर सकेगा। इसके अतिरिक्त उसे सवा लीटर पंचामृत का प्रयोग करने की छूट भी दी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस बात की चर्चा अब तेज हो गयी है कि देश के द्वादश ज्योतिलिंग की भी व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। इस संदर्भ में पत्रिका ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के न्यास परिषद के सदस्य पं.प्रसाद दीक्षित ने खुल कर अपनी बात कही।
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उन्होंने कहा कि काशी में स्थापित बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग लगभग तीन हजार साल पुराना है और बाबा के शिवलिंग में किसी प्रकार की क्षरण नहीं हुआ है। काशी में बाबा विश्वनाथ व मां गंगा का नाता सभी को पता है। काशी विश्वनाथ में मां गंगा का जल नहीं चढ़ाया जायेगा तो भक्त का दर्शन अधूरा माना जायेगा। दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर को गंगा घाट के पास स्थापित किया गया है इससे भक्तों को बाबा पर गंगाजल चढ़ाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि धर्म में सभी मंदिर की मान्यताओं का जिक्र किया गया है। इसी तरह काशी विश्वनाथ मंदिर में गंगाजल व दूध चढ़ाने की मान्यता है। बाबा के दरबार में जिसको जितना गंगाजल चढ़ाना है वह चढ़ा सकता है।
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IMAGE CREDIT: Patrika
बाबा विश्वनाथ को छूये बिना नहीं मिलता है मोक्ष
पं.प्रसाद दीक्षित ने कहा कि हमारे धर्मग्रन्थ में लिखा हुआ है कि आपको मोक्ष चाहिए तो शिवलिंग को स्पर्श करना होगा। हम लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि भक्त अधिक समय तक बाबा का स्पर्श नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि काशी की यह प्राचीन परम्परा है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।
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केन्द्र व राज्य सरकार करे मां गंगा को निर्मल
पत्रिका ने जब पं.प्रसाद दीक्षित जी से पूछा कि पहले तो गंगा निर्मल थी इसलिए शिवलिंग को नुकसान नहीं होता था अब तो गंगाजल भी इतना प्रदूषित हो चुका है कि शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। इस पर दीक्षित जी ने कहा कि हम लोग भारत व राज्य सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द मां गंगा को निर्मल किया जाये। इससे बाबा विश्वनाथ मंदिर की परम्परा भी नहीं टूटेगी और शिवलिंग को नुकसान होने की चर्चा भी नहीं होगी।
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