उन्होंने कहा कि काशी में स्थापित बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग लगभग तीन हजार साल पुराना है और बाबा के शिवलिंग में किसी प्रकार की क्षरण नहीं हुआ है। काशी में बाबा विश्वनाथ व मां गंगा का नाता सभी को पता है। काशी विश्वनाथ में मां गंगा का जल नहीं चढ़ाया जायेगा तो भक्त का दर्शन अधूरा माना जायेगा। दुनिया की सबसे प्राचीनतम नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर को गंगा घाट के पास स्थापित किया गया है इससे भक्तों को बाबा पर गंगाजल चढ़ाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि धर्म में सभी मंदिर की मान्यताओं का जिक्र किया गया है। इसी तरह काशी विश्वनाथ मंदिर में गंगाजल व दूध चढ़ाने की मान्यता है। बाबा के दरबार में जिसको जितना गंगाजल चढ़ाना है वह चढ़ा सकता है।
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पं.प्रसाद दीक्षित ने कहा कि हमारे धर्मग्रन्थ में लिखा हुआ है कि आपको मोक्ष चाहिए तो शिवलिंग को स्पर्श करना होगा। हम लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि भक्त अधिक समय तक बाबा का स्पर्श नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि काशी की यह प्राचीन परम्परा है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।
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केन्द्र व राज्य सरकार करे मां गंगा को निर्मल
पत्रिका ने जब पं.प्रसाद दीक्षित जी से पूछा कि पहले तो गंगा निर्मल थी इसलिए शिवलिंग को नुकसान नहीं होता था अब तो गंगाजल भी इतना प्रदूषित हो चुका है कि शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। इस पर दीक्षित जी ने कहा कि हम लोग भारत व राज्य सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द मां गंगा को निर्मल किया जाये। इससे बाबा विश्वनाथ मंदिर की परम्परा भी नहीं टूटेगी और शिवलिंग को नुकसान होने की चर्चा भी नहीं होगी।
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पत्रिका ने जब पं.प्रसाद दीक्षित जी से पूछा कि पहले तो गंगा निर्मल थी इसलिए शिवलिंग को नुकसान नहीं होता था अब तो गंगाजल भी इतना प्रदूषित हो चुका है कि शिवलिंग को नुकसान हो सकता है। इस पर दीक्षित जी ने कहा कि हम लोग भारत व राज्य सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द मां गंगा को निर्मल किया जाये। इससे बाबा विश्वनाथ मंदिर की परम्परा भी नहीं टूटेगी और शिवलिंग को नुकसान होने की चर्चा भी नहीं होगी।
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