स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की तरफ से पंडित सोमनाथ व्यास व अन्य लोगों ने ज्ञानवापी परिसर में हिन्दुओं को पूजा-पाठ का अधिकार देने को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था और वहां पर लंबित था। इसी बीच बनारस कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की अर्जी दी गयी थी। जिस पर सिविल जज सुधा यादव की कोर्ट ने दूसरे पक्ष इंतजामिया मसाजिद से अपना पक्ष रहने को कहा था इस पर इंतजामिया मसाजिद ने कोर्ट में अपने पक्ष रखते हुए कहा कि पुरातात्विक सर्वेक्षण पर उन्हें आपत्ति है। उन्होंने प्रकरण से संबंधित हाईकोर्ट में लंबित याचिका का हवाला देते हुए सुनवाई को स्थगित करने की भी अर्जी दी है। अब देखना है कि तीन फरवरी को इस मामले में कोर्ट में क्या सुनवाई होती है।
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22 साल बाद शुरू हुई है सुनवाई
कोर्ट की तरफ से नियुक्त वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में अजी दी थी और कहा था कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। 15 अगस्त 1947 को विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर ही है। परिसर में समय-समय में हुए परिवर्तन के साक्ष्य एकत्रित करने और धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से रेडार तकनीक से सर्वेक्षण व खोदाई करा कर रिपोर्ट मंगाने के लिए याचिका दायर की थी।
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कोर्ट की तरफ से नियुक्त वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में अजी दी थी और कहा था कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। 15 अगस्त 1947 को विवादित परिसर का धार्मिक स्वरूप मंदिर ही है। परिसर में समय-समय में हुए परिवर्तन के साक्ष्य एकत्रित करने और धार्मिक स्वरूप तय करने के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से रेडार तकनीक से सर्वेक्षण व खोदाई करा कर रिपोर्ट मंगाने के लिए याचिका दायर की थी।
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