देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में शामिल है 1931 में जब बीएचयू के संस्थापक मदन मोहन मालवीय लंदन में आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर भारत लौटे, तब उन्होंने इस लाइब्रेरी के आलीशान गोलाकार सेंट्रल हॉल का निर्माण कराया, जो कि बर्मा टीक की लकड़ी से बनाया गया। इसके लिए बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने उनकी आर्थिक मदद की थी और विश्वविद्यालय में इस आलीशान लाइब्रेरी का निर्माण कराया। शुरू में पुस्तकों का संग्रह दान स्वरूप में लिया। समय बीतते यहां कई शानदार पुस्तकों का संग्रह बन गया। 1931 में ही यहां 60,000 पुस्तकों का संग्रह हो चुका था। इसलिए आज आपको यहां 14-16वीं सदी की पांडुलिपि, ताडपत्र, सरकारी डाक्यूमेंट, शोधपत्रों, आदि को शामिल किया गया है। ये लाइब्रेरी देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में शुमार है।
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