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मस्जिद के ढांचे से पहले था विशाल हिंदू मंदिरचक्रपाणि महाराज ने कहा, ज्ञानवापी विवाद मामले में जिस तरह से एएसआई की निर्णायक रिपोर्ट सामने आ गई है। इससे साफ हो गया है कि ज्ञानवापी का जो ढांचा है। उससे पहले वहां पर विशाल हिंदू सनातन मंदिर था। कई साक्ष्यों के आधार पर यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि वहां पर भगवान विश्वेश्वर महादेव मंदिर का वो स्थान था। मुगलों ने इसे तोड़ कर मस्जिद बनाई थी।
हिन्दुओं को मंदिर सौंप मिसाल पेश करें मुस्लिम पक्ष
चक्रपाणि महाराज ने आगे कहा, ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे भी जिस प्रकार से वजू खाने में शिवलिंग मिला और अनेक साक्ष्य उसके प्रमाण हैं। इसी प्रकार से मथुरा में और देश में ऐसे हमारे सैकड़ों और हजारों मंदिर हैं, जिन पर मुगल काल में तोड़कर मस्जिद के रूप में कब्जा किया गया था। मेरी मुस्लिम पक्षकारों से अनुरोध है कि वो इन जगहों पर अपना दावा छोड़कर हिन्दुओं को उनका अधिकार सौंप दें। देश दुनिया में एक नजीर पेश करें और यह बताएं कि अगर मुगलों ने कोई गलत काम किया तो वर्तमान पीढ़ी उनका साथ नहीं देगी।
चक्रपाणि महाराज ने आगे कहा, ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे भी जिस प्रकार से वजू खाने में शिवलिंग मिला और अनेक साक्ष्य उसके प्रमाण हैं। इसी प्रकार से मथुरा में और देश में ऐसे हमारे सैकड़ों और हजारों मंदिर हैं, जिन पर मुगल काल में तोड़कर मस्जिद के रूप में कब्जा किया गया था। मेरी मुस्लिम पक्षकारों से अनुरोध है कि वो इन जगहों पर अपना दावा छोड़कर हिन्दुओं को उनका अधिकार सौंप दें। देश दुनिया में एक नजीर पेश करें और यह बताएं कि अगर मुगलों ने कोई गलत काम किया तो वर्तमान पीढ़ी उनका साथ नहीं देगी।
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25 जनवरी को सार्वजनिक हुई थी एएसआई की रिपोर्टबीते गुरुवार 25 जनवरी को एएसआई की 839 पेजों वाली सर्वे रिपोर्ट की प्रतियां कोर्ट द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गयी थी। इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान एक भव्य हिन्दू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के बाद उसके अवशेषों पर बनाई गई थी।