आईआईटी बीएचयू के केमिकल इंजिनियरिंग विभाग के प्रो पी के मिश्रा ने बताया कि, जल्द ही संस्थान में प्लास्टिक कचरे से बायो डीजल बनाया जाएगा। इसके लिए प्लांट लगाया जाएगा। देश में अपने तरीके का यह पहला प्लांट होगा। इसकी पहल अमेरिकी संस्था ‘रीन्यू ओशन’ ने की है। रीन्यू ओशन और आईआईटी बीएचयू के बीच इसके लिए करार हो चुका है। प्लांट के लिए शहरी इलाकों और नालों से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया जाएगा। यह जिम्मेदारी नगर निगम को दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि नगर निगम और अमेरिकी संस्था के सहयोग से नॉन रीसाइकलेबल प्लास्टिक से डीजल बनाने के लिए प्लांट लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। अगले महीने से प्लांट काम करने लगेगा। इसमें 100 किलोग्राम प्लास्टिक से 70 लीटर तक डीजल तैयार किया जा सकेगा।’ फिलहाल डीजल का उपयोग आईआईटी में शोध के काम में लाया जाएगा। इतना ही नहीं इससे निकलने वाले नेफ्था से सड़क बनाई जा सकेगी, जो काफी मजबूत होती है।
प्रो मिश्र ने बताया कि अभी तक नालों के जरिए गंगा में गिरने या फिर कूड़े में मिले प्लास्टिक कचरे को जमीन में दबाने की परंपरा रही है। लेकिन अब उसे प्लांट में डाल कर डीजल बनाया जाएगा। इससे काशी और गंगा प्लास्टिक मुक्त होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, पॉलिथीन और प्लास्टिक उत्पादों में कार्बन और हाइड्रोजन का मिश्रण होता है। यह तत्व पेट्रोलियम पदार्थों में भी होते हैं। पॉलिथीन और प्लास्टिक उत्पादों को प्लांट में एक निश्चित तापमान और दबाव पर गर्म किए जाने पर डीजल का उत्पादन होगा। इस तकनीक को पायरोलिसिस कहते हैं। इस तरह का बड़ा प्लांट अमेरिका में भी लगा है।
इस मुद्दे पर नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि शहर भर से पॉलिथीन और प्लास्टिक एकत्र करने के काम में नगर निगम सहयोग करेगा। इसके लिए निगम वाहन और कर्मचारी उपलब्ध कराएगा। मंगलवार को निगम और रीन्यू ओशन के कर्मचारियों ने अस्सी नाले से प्लास्टिक और पॉलिथीन निकालने का सफल ट्रायल किया। करीब 800 किलो प्लास्टिक और पॉलिथीन निकाली गई।