वाराणसी

देश में अब हाइड्रोजन से बनेगी बिजली, बीएचयू आईआईटी विभाग में हुए शोध को मिली बड़ी सफलता

आईआईटी बीएचयू की शोधअब हाइड्रोजन से बनेगी बिजली, ऑनसाइट हो सकेगा उत्पादन13 लीटर हाइड्रोजन से होगा 1 किलोवाट बिजली का प्रोडक्शन

वाराणसीMar 14, 2021 / 03:41 pm

Karishma Lalwani

देश में अब हाइड्रोजन से बनेगी बिजली, बीएचयू आईआईटी विभाग में हुए शोध को मिली बड़ी सफलता

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
वाराणसी. आईआईटी बीएचयू में हाइड्रोजन से बिजली बनाए जाने पर हुए शोध में बड़ी सफलता मिली है। केमिकल इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार उपाध्याय और उनकी टीम ने मेंबरेन रिफॉर्मर तकनीक पर एक प्रोटोटाइप विकसित किया है। यह प्रोटोटाइप मैथनॉल से अल्ट्रा शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए विकसित किया गया है। यह अपनी तरह का पहला ऐसा प्रोटोटाइप है जिसकी मदद से कहीं भी और कभी भी बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। रिसर्चर ने 13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवॉट बिजली बनाने में सफलता हासिल की है। इसे तैयार करने वाले डॉ. उपाध्याय के मुताबिक, यह प्रोटोटाइप फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल और कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा। यह भारत में विकसित इस तरह का पहला प्रोटोटाइप है। पूरी दुनिया में फिलहाल इस तरह की कोई भी उपलब्धि मौजूद नहीं है।
13 लीटर 99 फीसदी से भी ज्यादा शुद्ध हाइड्रोजन को किया जा सकता है अलग

डॉ. उपाध्याय के अनुसार, तकनीक की मदद से मोबाइल टॉवर को भी बिजली दी जा सकती है। यह डीजल आधारित जनरेटर के स्थान पर बेहतर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से सिर्फ एक मिनट में 15 एमएल मेथनॉल से हर मिनट में 13 लीटर 99 फीसदी से भी ज्यादा शुद्ध हाइड्रोजन को अलग किया जा सकता है। इसी प्रोटोटाइप को हाइड्रोजन के साथ इकट्ठा कर एक किलोवॉट बिजली का प्रोडक्शन करने में सफलता मिली है। यह प्रोटोटाइप जीवाश्म ईंधन के उपयोग और कार्बन फुटप्रिंट को काफी कम करेगा। कॉम्पैक्ट इकाई के चलते इसका उपयोग ऑन-साइट या ऑन-डिमांड अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा
इलेक्ट्रिक वाहन हो सकते हैं चार्ज

आईआईटी बीएचयू में विकसित प्रोटोटाइप का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने के लिए भी किया जा सकता है। इस संबंध में डॉ. उपाध्याय की टीम मोबाइल इलेक्ट्रिक वाहन चार्जेस के क्षेत्र में काम कर रही है। इलेक्ट्रिक वाहन में यह कुछ इस तरह काम करेगा कि विकसित प्रोटोटाइप को मोबाइल वैन में स्थापित किया जाएगा, जिससे बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन ईंधन सेल के साथ एकीकृत किया जा सकता है और चार्जिंग के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। इससे जहां यूजर का समय बचेगा वहीं दूसरी ओर चार्जिंग स्टेशनों पर कतार भी कम होगी। यह इकाई हाइड्रोजन-आधारित कार के लिए भी बेहद कारगर साबित हो सकती है। हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के लिए इसे पेट्रोल पंप पर भी लगाया जा सकता है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन के अनुसार, मेंबरेन तकनीक पर आधारित प्रोटोटाइप यूनिट प्रधानमंत्री मोदी की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देती है।
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