केपी सिंह प्रयागराज से पहले अयोध्या के आईजी भी रह चुके हैं। सिर्फ 3 महीने पहले ही वह आईजी के पद से रिटायर हुए हैं। हाईस्कूल से लेकर हायर एजुकेशन तक उन्होंने पूरी पढ़ाई प्रयागराज से ही की हैं। उन्होंने BSC, MSC, LLB और LLM की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की है।
वह यूपी के बस्ती, उधमसिंह नगर, देवरिया, बहराइच, सीतापुर और फतेहपुर सहित अलग-अलग जिलों में रेलवे पुलिस, PHQ, इंटेलिजेंस, STF के लिए काम कर चुके हैं। पढ़िए उस कहानी को जिसने बनाया IG कवींद्र प्रताप सिंह को योगी की नजर में हीरो…
अयोध्या में मांस फेंकेने की घटना के दौरान IG के रूप में तैनात थे केपी सिंह पिछले साल अप्रैल के महीने में अयोध्या के पांच मस्जिदों में प्रतिबंधित मांस और कुरान शरीफ के फटे पन्ने फेंके गए थे। मकसद साफ था कि अयोध्या यानी प्रभु श्री राम की नगरी में दंगा भड़काया जाए। तत्कालीन एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय और IG कवींद्र प्रताप सिंह की टीम ने 12 घंटे के भीतर 7 आरोपियों को वीडियो सबूत के साथ पकड़ लिया।
मीडिया ने आरोपियों के नाम पूछे तो पुलिस ने पहले टाला, फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा- महेश, नितिन, विमल, प्रत्युष, बृजेश, शत्रुघ्न और दीपक।
वीडियो में मुस्लिम दिखाई दे रहे थे लेकिन सच्चाई कुछ और थी, इंवेस्टिगेशन में खुली पोल
वीडियो फुटेज में जो लोग दिख रहे थे वो पुरे मुस्लिम गेटअप में थे। पठानी सूट और सर पर गोल जालीदार मुस्लिम टोपी। पहली नजर में कोई भी शक कर नहीं कर पाए। लेकिन पुलिस ने एक-एक करके सबको पकड़ना शुरू किया, फिर सबकी पोल-पट्टी खुलनी लगी। उनके नाम और पहचान देखकर सभी हैरान थे।
पकड़े गए 7 लोगों का लीडर महेश कुमार मिश्रा था। महेश VHP और बजरंग दल का पूर्व सदस्य रह चूका था। उसके बाद उसने अपना संगठन हिंदू योद्धा बनाया था। उस पूरे घटना का वही मास्टरमाइंड था। घटना के प्लानिंग से एग्जीक्यूशन तक सबमें उसी का दिमाग था।
तत्कालीन IG कवींद्र प्रताप सिंह और एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय के लीडरशिप में पुलिस ने जिस तरह से मामले का पर्दाफाश किया उसी ने धार्मिक नगरी अयोध्या का माहौल खराब होने से रोक दिया था।