शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा में प्रदोष काल के दौरान अच्छा माना जाता है। भद्रा मुख को त्याग कर रात्रि में होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन के समय भद्रा काल नहीं होना चाहिए साथ ही पूर्णिमा प्रदोषकाल और व्यापिनी होनी चाहिए यानि उस दिन सूर्यस्त के बाद तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।