आरबीएसके के नोडल अधिकारी डा. एके गुप्ता ने बताया कि टीम को जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों में इन बीमारियों का पता लगाने की जिम्मेदारी सौपी गयी है। जन्मजात रोग डिफिशिएंसी, विकास में देरी के साथ किशोर व किशोरी के स्वास्थ्य जांच पहले से किया जा रहा है। इस आयु वर्ग के बच्चों व किशोरों में होने वाली 38 बीमारी की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी आरबीएसके टीम को मिली थी इसमे टीबी व कुष्ठ रोग बढ़ जाने से इन बीमारियों की संख्या 40 हो गयी है। डा.गुप्ता ने बताया कि स्कूलों में प्रति वर्ष एक बार व आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रति वर्ष दो बार इन बीमारियों की जांच की जाती है। बच्चों वे किशोर में किसी तरह की बीमारी का पता चलता है तो उनका मौके पर ही इलाज किया जाता है। आवश्यकता पडऩे पर उन्हें जिला या मंडलीय अस्पताल में रेफर कर इलाज कराया जाता है। अब टीबी व कुष्ठ रोग का पता चलने पर इसी तरह से निर्धारित सेंटर पर मरीज को भेज कर इलाज किया जायेगा। जिला क्षेय रोग अधिकारी डा.राकेश कुमार सिंह ने बताया कि टीम को लक्षण के आधार पर बीमारी का पता लगाने की ट्रेनिंग दी गयी है। बीमारी के संदिग्ध पीडि़तों को दीनदयाल राजकीय अस्पताल, शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल व लाल बहादुर शास्त्री में भेज कर जांच करायी जायेगी। बीमारी की पुष्टि होने पर नि:शुल्क इलाज की भी वहां पर व्यवस्था की गयी है। सीएमओ डा.वीबी सिंह ने बताया कि इस काम के लिए 16 टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। जिससे इन बीमारियों का समय से पता लगा कर इलाज कराना आसान हो जायेगा।
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