वाराणसी

गंगा दशहरा पर भक्तों ने लगायी आस्था की डुबकी

बनारस के प्रमुख घाटों पर उमड़ी भीड़, आज के दिन ही धरती पर अवतरित हुई थी मां गंगा

वाराणसीJun 12, 2019 / 12:27 pm

Devesh Singh

Ganga Dashahara

वाराणसी. शहर की प्रमुख पहचान मां गंगा व काशी विश्वनाथ से है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन पतित पावनी मां गंगा का धरती पर अवतर हुआ था और इसी दिन गंगा दशहरा के रुप में मनाया जाता है। बुधवार को बनारस के प्रमुख घाट पर भोर से ही भक्तों के डुबकी लगाने का क्रम शुरू हुआ था जो दिन चढऩे तक चलता रहा।
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बनारस के दशाश्वमेध, अस्सी आदि प्रमुख घाट पर सुबह से ही स्नान करने वालों की भीड़ जमा रही। मां गंगा में डुबकी लगाने के साथ भक्तों ने भगवान की पूजा की और फिर दान देकर पुण्य कमाया। धार्मिक मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाने से 10 तरह के पापों का नाश होता है। डुबकी लगाने वाला मोक्ष की प्राप्ति कर वैकुंठ में स्थान पाता है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए गंगा में सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त किये गये थे। लगातार लाउडस्पीकर से प्रसारित करके लोगों को गंगा में गंदगी नहीं छोडऩे की अपील की जा रही थी।
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Ganga Dashahara
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गंगा दशहरा से जुड़ी पौराणिक कथा
गंगा दशहरा से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार राजा भागीरथ ने ब्रह्मा की कठिन तपस्या की थी। इसके बाद प्रभु से गंगा को धरती पर ले जाने का वरदान मिला। वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी इस दिन को गंगा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। भगवान शिव ने जब अपनी लट खोली तो गंगा की दस धाराएं हो गयी। गंगा की धाराएं नौ गंगा के नाम से हिमालय में बहने लगी। जबकि दसवीं धारा को महादेव ने विदसर सरोवर में डाल दिया था जो गोमुख से पहली बार धरती पर प्रकट हुई थी। गंगा दशहरा के दिन धरती पर अवतरण होने पर गंगा दशहरा मनाया जाता है। गंगा की दसवीं धारा ही गोमुख से लेकर आज तक बहती रहती है।
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मां गंगा का किया गया दुग्धाभिषेक
गंगा दशहरा के दिन बटुकों ने अस्सी घाट पर 21 लीटर दुग्ध से मां गंगा का दुग्धाभिषेक किया गया। मंत्रोचार के साथ विधि-विधान से मां गंगा की पूजा की गयी है। भक्तों ने भी स्नान से पहले मां गंगा को प्रणाम किया और दीपदान कर पूजा की। गंगा स्नान को लेकर भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ी की गौदौलिया की ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गयी थी।
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