मणिकर्णिका व हरिश्चन्द्र घाट में शवदाह करने आने वालों को अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। गंगा घाट पहले ही बाढ़ में डूबे हुए हैं ऐसे में लोगों को गलियों में चिता जलानी पड़ रही है। हरिश्चन्द्र घाट की सड़क पर चिता जलाने से उसका धुआ आस-पास के घरों में पहुंच रहा है जिससे लोगों को नयी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। शवदाह करने के बाद लोगों को गंगा स्नान करना भारी पड़ रहा है। गलियों में बह रही गंगा में ही डुबकी लगानी पड़ रही है। बाढ़ की हालत यह हो गयी है कि गंगा व वरुणा का जलस्तर थमने का नाम नहीं ले रहा है। घाट किनारे रहने वाले दहशत में आ चुके हैं रोज नये इलाको में पानी पहुंच रहा है और लोगों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ रहा है।
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अभी जलस्तर थमने की संभावना कम
बनारस में तीन साल बाद गंगा खतरे के निशान से उपर बह रही है। इसके बाद भी जलस्तर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे अधिक तबाही वरुणा के जलस्तर ने मचायी है। गंगा से अधिक वरुणा का पानी तेजी से नयी आबादी में प्रवेश कर रहा है। मौसम विभाग की माने तो मध्य प्रदेश में आने वाले दिनों में भी बारिश का दौर जारी रहेगा। ऐसा हुआ तो एमपी में फिर से डैम के फाटक खोलने पड़ सकते हैं जिससे बनारस में बाढ़ की स्थिति और भयावह हो जायेगी।
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