डा.फिरोज खान ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि देश का इतना बड़ा पुरस्कार मिलेगा। यह मेरे लिए कभी नहीं भूलने वाला पल है। पिता जी ने भी नहीं सोचा था कि उन्हें एक दिन पद्मश्री मिलेगा। पिता जी इतने अधिक खुश हुए है कि बताना संभव नहीं होगा। डा.फिरोज ने कहा कि कोई व्यक्ति इतने बड़े पुरस्कार के बारे में न सोचा हो। उसे पता चलता है कि पुरस्कार देने के लिए उसके नाम की घोषणा हुई है तो उसका गदगद होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि मैं ईश्वर को शुक्रगुजार हूं जो इतना बड़ा पुरस्कार मिला है। ईश्वर जो भी कुछ करता है वह अच्छे के लिए करता है। डा.फिरोज ने बताया कि बीएचयू में ज्वाइन करने के बाद उनके अब्बा व अम्मी परिसर आये थे। मैंने उन्हें बीएचयू दिखाया था तो कहा कि ऐसा विश्वविद्यालय कभी नहीं देखा था। पिता के साथ पुरस्कार लेने जाने के प्रश्र पर कहा कि सोच रहा हूं कि अम्मी व अब्बा के साथ पद्मश्री पुरस्कार लेने जाऊं। अभी देखते हैं कि कितने लोगों को बुलाया जायेगा। मेरी इच्छा है वह पल अवश्य देखने को मिले। उन्होंने बताया कि हम छह भाई व बहन है। मेरे बड़े भाई म्यूजिक का काम करते हैं उन्हें पिता जी ने सिखाया है। डा.फिरोज ने कहा कि आज जो कुछ हूं वह माता-पिता के कारण हूं। उन्होंने हर कदम पर साथ दिया है उन्होंने हौसला बढ़ाया तो यहां तक पहुंचा हूं। बताते चले कि डा.फिरोज खान की बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय में नियुक्ति हुई थी बाद में एक पक्ष ने इसका बहुत विरोध किया था उसके बाद उन्होंने संस्कृत विभाग में ज्वाइन कर लिया था।
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