वाराणसी. संविदा सफाईकर्मियों की नियुक्ति पर रोक लगने से पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को एक बड़ा झटका लगने के साथ ही शहर में प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। 31 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के एक फैसले ने प्रदेश भर में 40 हजार संविदा कर्मियों की चयन प्रक्रिया पर रोक लग दिया, जिसमें वाराणसी 915 संविदा कर्मी भी शामिल हैं। बनारस के 915 पदों के लिए लगभग एक लाख 20 हजार लोगों ने आवेदन किया था। साथ ही पीएम मोदी की काशी को स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारियों को भी झटका लगा है। एक ओर नगर निमग प्रशासन स्वच्छता सर्वेक्षण के में अधिक से अधिक अंक प्राप्त कर अच्छी रैंक हासिल करना चाहता है तो दूसरी ओर उसकी समस्याएं कम होने का नाम नहीं लग रही है। अब नगर निगम के सामने सफाई कर्मियों की नियुक्ति पर रोक लगने से बनारस की समस्या एक बार फिर बढ़ गयी।
पीएम नरेन्द्र मोदी की काशी में गंदगी की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक ओर पीएम मोदी पूरे देश को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं, दूसरी ओर उनके ही संसदीय क्षेत्र बनारस में गंदगी की समस्या बनी हुई है। पीएम ने खुद काशी में झाड़ू लगाकर शहर को साफ व स्वच्छ बनाने की मुहिम चलाई थी और काशी को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों से अपील किया था। इसके बाद भी शहर में गंदगी है।
नगर निगम के तहसीलदार अविनाश कुमार ने बताया कि बनारस में कम से कम 5200 सफाई कर्मियों की आवश्यकता है, जबकि यहां कुल परमानेंट, संविदा व आउट सोर्सिंग कर्मचारियों सहित कुल 2693 कर्मी ही कार्यरत हैं। अविनाश कुमार ने बताया कि बनारस में 2507 सफाईकर्मियों की आवश्यकता है, जिसमें यहां 915 भर्ती मिली थी। इसके लिए बनारस में लगभग एक लागख 20 हजार लोगों ने आवेदन किया था। उन्होंने बताया कि चयन के लिए 24 दिसंबर से इंटरव्यू भी शुरू कर दिया गया था। रोक लगने से पहले तक लगभग चार हजार अभ्यर्थियों को इंटरव्यू हो गया था। लेकिन फिलहाल उस पर भी रोक लग गयी है।
अविनाश कुमार ने बताया कि फिलहाल स्वच्छता रैंकिंग में बनारस 14 वें पायदान पर है। स्वच्छता सर्वेक्षण में किसी भी हाल में बनारस को टॉप टेन में लाना ही हमारा लक्ष्य है। इसके लिए नगर निगम पूरा प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों की कमी के कारण सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आधे स्ट्रेंथ के साथ सफाई कराना बहुत मुश्किल हो रहा है। साथ ही शहर में रात में सफाई कराने में भी परेशानी हो रही है। सफाई कर्मियों की कमी के कारण ही नगर निगम खुद का डोर-टू-डोर कूड़ा कनेक्शन लागू नहीं करा सका।
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