जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि नामांकन पत्रों की जांच की गयी थी इसमे 102 लोगों ने 119 नमाांकन पत्र दाखिल कियो थे इसमे से 31 स्वीकृत किये गये थे। तेज बहादुर यादव ने दो नामांकन पत्र दाखिल किये थे। उनकी जांच की गयी थी। जिलाधिकारी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति भारत सरकार व राज्य सरकार की नौकरी कर रहा हो और बर्खास्त हुआ हो।। बर्र्खास्ती की तरीक पांच साल न बीती हो। ऐसे सभी केस में नियमानुसार प्रत्याशी अपने नामांकन पत्र के साथ में निर्धारित फार्मेट में एक प्रमाण पत्र लायेगा। यह प्रमाण पत्र भारत निर्वाचन आयोग देगा। भारत निर्वाचन आयोग बतायेागा कि वह व्यक्ति भ्रष्टाचार व अन्य कारण से हटाया गया है। यदि दोनों कारणों से भी नहीं हटाया गया है तो भी प्रमाण पत्र लाना होगा कि इन कारणों से इन्हें नहीं हटाया गया है। इन दोनों ही केस में प्रमाण पत्र देना होगा। हम लोगों ने तेज बहादुर यादव को १ मई २०१९ को दोपहर ११ बजे तक का समय दिया गया। निर्धारित समय तक प्रमाण पत्र नहीं मिला था इसलिए नामांकन निरस्त यिका गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि नामांकन की जांच के बाद प्रमाण पत्र के लिए जितना समय दे सकते हैं उतना दिया गया है ओर निरस्त करने के आदेश में सारे नियमों को लिखा गया है। बताते चले कि तेज बहादुर यादव ने निर्दल व अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन के प्रत्याशी के तहत दो नामांकन किये थे। निर्दल प्रत्याशी के रुप में नामांकन पहले ही निरस्त हो गया था जबकि दूसरा नामांकन बुधवार को निरस्त हुआ है। इसके बाद से ही वहां पर हड़कंप मचा हुआ है।
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