जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि लमही के प्राकृतिक स्वरुप को बचाये रखना होगा। जहां के गांव, गलियों व खेत के परिवेश से प्रेरणा लेकर मुंशी प्रेमचन्द्र इतने महान लेखक बने थे उन जगहों को उसी रुप में सहेज कर रखने की जरूरत है। जिलाधिकारी ने कहा कि जो साहित्कार भारतीय संस्कृति में आस्था रखते हैं उन्हें मंशी लमही के मूल स्वरुप के बचाये रखते हुए विकास करने के लिए अपना सुझाव देना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि लमही को ऐसा पर्यटन स्थल बनाया जायेगा। यहां पर पर्यटकों का आना-जाना रहे और यह गांव विश्व पटल पर छा जाये। डीएम ने कहा कि यहां संस्कृति विभाग की तरफ से बड़ा संग्रहालय बनाने की तैयारी है और इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। उन्होंने मंच से ही भवन पर रुफटाप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोख्ते गड्ढे और जल संरक्षण के लिए सभी कार्य करने के साथ तालाब का सुन्दरीकरण करने का निर्देश दिया। इससे पूर्व समारोह के मुख्य अतिथि कमिश्रर दीपक अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित करके लमही महोत्सव का शुभारंभ किया। बनारस के वरिष्ठ साहित्यकारों प्रो.सदानंद शाही, प्रो.सुरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो.श्रद्धानंद, डा.मुक्ता, डा अत्रि भारद्वाज, डा.इंद्रिवर को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मुंशी प्रेमचन्द्र की रचनाओं मुक्ति धन, फादन आनंद, गोदान, सलीम रजा, धिक्कार, वीणा आनंद, मैकू व नव चेतना आदिको नाट्य के माध्यम से प्रस्तृत किया गया। साथ ही महोत्सव में हुई विभिन्न प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर उनका हौसला बढ़ाया गया।
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