कम ही अपराधी होते हैं जिनकी प्रेम कहानी होती है और वह शादी तक पहुंचती है लेकिन बनारस के आदमपुर थाना क्षेत्र के कोनिया निवासी रूपेश सेठ की कहानी अन्य अपराधियों से अलग हैं। १९९७ में रूपेश सेठ पर पहली बार हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हुआ था इसके बाद वह जरायम की दुनिया में आगे ही बढ़ता गया। सर्राफा कारोबारियों का सोना लूटने रूपेश सेठ को सबसे अधिक पसंद है। रंगदारी मांगने, लूट आदि की कुल 46 मुकदमे आरोपी पर दर्ज हैं। रूपेश सेठ वर्ष 2008 में जिला कारागार में बंद था इसी दौरान उसकी मुलाकात मदाक पदार्थ की तस्करी करने वाली मोनी सिंह (बोडो) से हुई। जेल में ही दोनों का इश्क हुआ और रिहा होने के बाद शादी कर ली। क्राइम ब्रांच के सूत्रों की माने तो मोनी सिंह का सम्पर्क आसाम के बोडो उग्रवादियों से था और वह आसाम से मादक पदार्थ लाकर पूर्वांचल में बेचती थी। शादी के बाद वह रूपेश को लेकर आसाम चली गयी और वही पर रहने लगी। क्राइम ब्रांच के सूत्रो के अनुसार रूपेश ने आसाम में कई वारदात को अंजाम दिया था जिसकी अब जांच की जा रही थी जबकि उसकी पत्नी मोनी फिर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ी है इसलिए पता नहीं चल पाया कि मादक पदार्थ की तस्करी करती है या छोड़ दिया।
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आसाम में बनवा लिया था ऑलीशान मकान, लग्जरी कार से घुमता था परिवार
रूपेश सेठ व मोनी सिंह ने मिल कर करोड़ों की सम्पत्ति खड़ी कर दी है। दोनों को तीन बच्चे भी हैं। आस-पास के लोगों को शक न हो। इसके चलते उन्होंने आसाम में पोल्ट्री फार्म भी खोल लिया है। काफी पैसा हो जाने के चलते उनका आस-पास रहने वाले लोगों पर अच्छा प्रभाव रहता है इसलिए पुलिस भी आसाम जाकर रूपेश सेठ को पकड़ नहीं पाती थी। रूपेश ने वर्ष 2009 से जेल से रिहा हुआ था इसके बाद से वह 10 साल से फरार था। वर्ष 2014 में उसने बनारस आकर मोहन सेठ की हत्या की थी और वर्ष 2018 में 60 लाख का सोना उड़ाया था, जिसके चलते उसके उपर 50 हजार का इनाम था और वह बनारस जोन का टॉप टेन अपराधी घोषित था। रूपेश सेठ शुक्रवार को बनारस किसी वारदात को अंजाम देने आया था और इसकी सूचना क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह को लग गयी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने कंैट पुलिस के साथ रूपेश को पकड़ कर जेल भेज दिया है।
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रूपेश सेठ व मोनी सिंह ने मिल कर करोड़ों की सम्पत्ति खड़ी कर दी है। दोनों को तीन बच्चे भी हैं। आस-पास के लोगों को शक न हो। इसके चलते उन्होंने आसाम में पोल्ट्री फार्म भी खोल लिया है। काफी पैसा हो जाने के चलते उनका आस-पास रहने वाले लोगों पर अच्छा प्रभाव रहता है इसलिए पुलिस भी आसाम जाकर रूपेश सेठ को पकड़ नहीं पाती थी। रूपेश ने वर्ष 2009 से जेल से रिहा हुआ था इसके बाद से वह 10 साल से फरार था। वर्ष 2014 में उसने बनारस आकर मोहन सेठ की हत्या की थी और वर्ष 2018 में 60 लाख का सोना उड़ाया था, जिसके चलते उसके उपर 50 हजार का इनाम था और वह बनारस जोन का टॉप टेन अपराधी घोषित था। रूपेश सेठ शुक्रवार को बनारस किसी वारदात को अंजाम देने आया था और इसकी सूचना क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह को लग गयी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने कंैट पुलिस के साथ रूपेश को पकड़ कर जेल भेज दिया है।
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