बाहुबली मुख्तार अंसारी के खास माने जाने वाले अतुल राय के अधिवक्ता ने न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) में सरेंडर करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर कोर्ट ने चार जून तक का समय दिया था। मंगलवार को सरेंडर करने का अंतिम दिन था और अतुल राय के अधिवक्ता ने फिर कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमे कहा था कि आरोपी सांसद सरेंडर करने के लिए जमानिया (गाजीपुर) से आ रहे थे कि रास्ते में वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमे अतुल राय के पैर में गंभीर चोट लगी है इसके चलते ही वह कोर्ट में सरेंडर नहीं कर पाये हैं। अतुल राय के अधिवक्ता ने कोर्ट से समर्पण करने के लिए और समय मांगा था कहा था कि वह शपथ पत्र भी दे सकते हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अधिवक्ता की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपी द्वारा प्रक्रिया को अनावश्यक विलंबित किया जा रहा है जिससे न्याय की मूलभावना प्रभावित हो रही है। बचाव पक्ष ने आरोपी के दुर्घटना में घायल होने की दलील दी है लेकिन कोर्ट में दोपहर बाद तक चिकित्सकीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जा सका है ऐसे में आरोपी की याचिका खारिज की जाती है।
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रेप के आरोप में फंसे अतुल राय को कही से नहीं मिली राहत
रेल के आरोप में फंसे अतुल राय को कही से राहत नहीं मिली है। स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी बीएसपी नेता की गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है। लोकसभा चुनाव में रेप का आरोप लगने के बाद भी अतुल राय घोसी संसदीय सीट से चुनाव जीत गये थे। अतुल राय ने हमेशा ही रेप के आरोप को राजनीतिक से प्रेरित बताया है। अतुल राय के समर्थन में सबपा सुप्रीमो मायावती भी आ गयी थी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। घटनाक्रम में सबसे बड़ी बात है कि लंका पुलिस आज तक अतुल राय का सुराग तक नहीं लगा पायी है जिससे बनारस पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।
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रेल के आरोप में फंसे अतुल राय को कही से राहत नहीं मिली है। स्थानीय अदालत से लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी बीएसपी नेता की गिरफ्तारी पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है। लोकसभा चुनाव में रेप का आरोप लगने के बाद भी अतुल राय घोसी संसदीय सीट से चुनाव जीत गये थे। अतुल राय ने हमेशा ही रेप के आरोप को राजनीतिक से प्रेरित बताया है। अतुल राय के समर्थन में सबपा सुप्रीमो मायावती भी आ गयी थी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। घटनाक्रम में सबसे बड़ी बात है कि लंका पुलिस आज तक अतुल राय का सुराग तक नहीं लगा पायी है जिससे बनारस पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।
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