वाराणसी

सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया ओमप्रकाश राजभर को अब तक का सबसे बड़ा झटका

अखिलेश यादव व मायावती की बढ़ेगी परेशानी, बीजेपी ने खेल दिया बड़ा दांव

वाराणसीJun 29, 2019 / 01:41 pm

Devesh Singh

CM Yogi Adityanath and Om Prakash rajbhar

वाराणसी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को फिर बड़ा झटका दिया है। यूपी सरकार ने पहले ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री पद से हटाया था और अब सुभासपा का सबसे बड़ा मुद्दा छीन लिया है। यूपी चुनाव 2022 की तैयारी में लगी बीजेपी ने बड़ा सियासी दांव खेला है, जिस से मायावती व अखिलेश यादव की परेशानी बढऩा तय है।
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बीजेपी के कभी सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। मंत्री की कुर्सी जाने के बाद ओमप्रकाश राजभर का सबसे बड़ा मुद्दा भी बीजेपी ने छीन लिया है। लोकसभा चुनाव 2019 में ओमप्रकाश राजभर ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति व यूपी में शराबबंदी की मांग की थी। सीएम योगी आदित्यनाथ ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर सुभासपा के सबसे बड़े मुद्दे को छीन लिया है। बीजेपी के साथ सुभासपा का गठबंधन जारी रहता तो ओमप्रकाश राजभर कह सकते थे कि हमारे दबाव में आकर बीजेपी ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया है लेकिन सुभासपा व बीजेपी का गठबंधन खत्म हो चुका है और रिश्ते इतने खराब हो गये हैं कि बीजेपी नेताओं को अपशब्द बोलने के चलते ओमप्रकाश राजभर पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया था ऐसे में बीजेपी ने सुभासपा का सबसे बड़ा मुद्दा छीन कर अपनी ताकत बढ़ाने का प्रयास किया है।
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अखिलेश यादव व मायावती की भी बढ़ेगी परेशानी, छोटे दलों का हो सकता है सफाया
बीजेपी के इस दांव से अखिलेश यादव व मायावती की भी परेशानी बढऩा तय है। बीजेपी के इस दांव का लिटमस टेस्ट यूपी की ११ सीटों पर होने वाले उपचुनाव में हो जायेगा। यूपी में अति पिछड़ी जातियों में शामिल राजभर, धीवर, कहार, केवट, मल्लाह, मांझी, मछुआ, गोडिय़ा, भर आदि जातियों को अब अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलेगा। पहले इन जातियों के बड़े वोट बैंक पर सपा व बसपा का कब्जा होता था लेकिन पीएम नरेन्द्र मोदी के आने के बाद से इस वोट बैंक पर बीजेपी का कब्जा हो गया था। पूर्वांचल की बात की जाये तो कुल आबादी में इन जातियों को प्रतिशत 10 से अधिक है इन जातियों को अपने पाले में करने के लिए कई छोटे दल बने थे जिनका अब सफाया हो सकता है। बीजेपी का इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का लाभ मिलता है तो सपा व बसपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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