दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने तीन दिवसीय दौरे पर हिंदू युवा वाहिनी के पदाधिकारियों की भी बैठक की। मुख्यमंत्री ने हियुवा के लोगों को गांव-गांव सक्रिय होकर सरकार की योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचाने को कहा। उन्होंने निर्देश दिया कि, वे अधिकारियों से समन्वय बनाकर पात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाएं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह सख्त निर्देश दिया कि संगठन के लोग सरकार के खिलाफ या प्रशासन के खिलाफ कोई धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे।
यानी, योगी आदित्ययनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी गतिविधियों को बेहद सीमिति कर चुकी हिंयुवा पुराने तेवर में आने वाली है। माना जा रहा है कि, लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद हिंयुवा की सक्रियता की बात शुरू हो गई थी। क्योंकि मुख्यमंत्री के प्रभाव क्षेत्र वाली इस सीट पर हार के बाद बीजेपी संगठन में आंतरिक रूप से यह बात उठी थी कि, हिंयुवा ने इस सीट को जीतने के लिए कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई थी।
हिंदू युवा वाहिनी के बल पर ही योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल में अपनी ताकत दिखाते रहे हैं। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनती ही उन्होंने बीजेपी को मजबूत करने के लिए हिंदू युवा वाहिनी को राजनैतिक मामलों में दखल देने से मना करने के साथ कम से कम गतिविधियां कर दी गई थी। राजनैतिक महत्वाकांक्षा रखने वालों को बीजेपी से जुड़कर उसे मजबूत करने की सलाह दी गई थी। लेकिन हियुवा को पूरी तरह से बीजेपी में समायोजित कर पद देना भी संभव नहीं था।
इसका परिणाम यह हुआ कि हिंदू युवा वाहिनी अलग-थलग पड़ने लगी। इधर, संगठन और सरकार के बीच कई मामलों में टकराव की स्थिति आई। लोकसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री के प्रभाव क्षेत्र वाली सीट हाथ से जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की काफी किरकिरी हुई। बीजेपी भले ही अपने संगठन के तत्कालीन क्षेत्रीय अध्यक्ष को लड़ा रही थी, लेकिन हारने के बाद एक कारण हियुवा का असहयोग भी बता दिया गया।
ऐसे हुआ गठन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना पहला लोकसभा चुनाव करीब 26 हजार मतों से जीते थे। लेकिन 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में वह महज सात हजार मत से ही जीत हासिल कर सके। जीत के काफी कम अंतर से योगी आदित्यनाथ को समझ आ चुका था कि, राजनैतिक रूप से मजबूत रहना है तो कुछ करना होगा।
फिर उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया। गांव स्तर पर कमेटी का गठन हुआ। प्रखर हिंदूवादी संगठन के रूप में हिंदू युवा वाहिनी की पहचान बनी। यह संगठन योगी सेना के रूप में भी जानी जाती रही। आलम यह कि हिंदू युवा वाहिनी की जड़ें पूरे पूर्वांचल में फैल गई।