वाराणसी

GPS में खाली वाहन दिखे लोडेड, ऑनलाइन चालान में बाइक की जगह कार में बिना हेलमेट की निकली पर्ची

पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में 180 करोड़ रुपये की लागत से बना है इंटीग्रेड सिटी कमांड, प्रमुख सचिव ने खोली पोल

वाराणसीSep 04, 2019 / 01:36 pm

Devesh Singh

City Command Control Center

वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली ने पीएम की सारी योजनाओं को पलीता लगा दिया है। प्रधानमंत्री ने जिस शहर से स्वच्छता मिशन की शुरूआत की थी वही शहर अब स्वच्छता में सबसे पिछड़ता जा रहा है। बनारस नगर निगम की कागजी आंकड़ों की सच्चाई जानने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खास टीम भेजी तो सच्चाई सामने आ गयी। प्रमुख सचिव मनोज कुमार ने देखा कि सिगरा में 180 करोड़ रुपये से बने कमांड कंट्रोल सिस्टम में जीपीएस लगे खाली वाहन लोडेड दिखे। जबकि ऑनलाइन चालान में बाइक की जगह कार में बिना हेलमेट की पर्ची निकली।
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प्रमुख सचिव मनोज कुमार ने सबसे पहले दीनापुर एसटीपी और चौकाघाट पंप हाउस का निरीक्षण किया। इसके बाद वह सीधे सिगरा स्थित सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर पहुंचे। यहां पर उन्होंने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी ली तो गड़बड़ी के संकेत मिले। इसके बाद उन्होंने खाली जीपीएस लगे वाहन को देखा तो वह लोडेड दिखा रहा था इसके बाद तो प्रमुख सचिव भड़क गये। कहा कि इस तरह का फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा। एक माह की मोहलत देते हुए कहा कि यदि व्यवस्था नहीं सुधरी तो जिम्मेदार कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया जायेगा।
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प्रमुख सचिव ने पूछा कि सड़कों पर क्यों बह रहा सीवर, पानी के लिए लोगों को क्यों करना पड़ रहा प्रदर्शन
प्रमुख सचिव मनोज कुमार के सवाल का अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था। प्रमुख सचिव ने पूछा कि सीवर सड़क पर क्यों बह रहा है और पानी के लिए लोगों को क्यों धरना देना पड़ रहा है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम नयी एजेंसी को देने में देरी क्यों हो रही है। प्रमुख सचिव के इन प्रश्रों का अधिकारियों के पास जवाब नहीं था। इसके बाद प्रमुख सचिव ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगायी है। बताते चले कि पिछले एक साल से बनारस की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गयी है। जिस शहर में दिन व रात में सफाई होती थी वहां अब जगह-जगह पर कूड़ा फेका रहता है। नगर निगम के पास पहले से अधिक संसाधन हो गये हैं इसके बाद भी अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली से बनारस के स्मार्ट सिटी बनने का सपना टूट रहा है।
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