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वाराणसी

ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त उठा काशी के ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व वाले अहिल्याबाई महल पर अवैध कब्जे का मुद्दा

-अहिल्याबाई स्मृति संरक्षण समिति ने उठाया है मुद्दा-अहिल्याबाई घाट, महल और होल्कर राज्य की महारानी की तपस्थली का मुद्दा-राज्य शासन व स्थानीय प्रशासन को लिया कठघरे में
 

वाराणसीApr 20, 2019 / 02:03 pm

Ajay Chaturvedi

अहिल्याबाई घाट व महल

अहिल्याबाई घाट व महल

वाराणसी. यह सर्वविदित और सर्वमान्य है कि वर्तमान में जो काशी विश्वनाथ मंदिर है उसका जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई ने कराया था। इस बात को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी स्वीकार करते है। लेकिन वही रानी अहिल्याबाई की तपस्थली, महल और ऐतिहासिक अहिल्याबाई घाट का मुद्दा गर्म हो गया है, वह भी ऐन लोकसभा चुनाव के वक्त।
अहिल्याबाई स्मृति संरक्षण समिति ने इस मुद्दे को उठाया है। कहा है कि प्रसिद्ध अहिल्याबाई घाट, महल और होल्कर राज्य की महारानी की तपस्थली आज की तारीख में उपेक्षित हो गई है। और यह उपेक्षा और अनदेखी हुई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के चलते। समिति की सदस्य विभा मिश्रा का कहना है कि मां अहिल्याबाई ने विश्वनाथ मंदिर के पुनर्स्थापना का संकल्प लिया और उसे जीते जी पूरा किया। उनकी तपस्थली और महल ऐतिहासिक, धार्मिक और वास्तु की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसमें मां गंगा की अति दुर्लभ प्राचीन मूर्ति है। यह भवन प्राचीन धरोहर, पुरातत्वीय स्थान और अवशेष अधिनियम 24 1958 से संरक्षित है। कहा कि अब जबकि काशी के धरोहर की सुरक्षा का युगांतकारी कार्य प्रारंभ है और काशी विश्वनाथ की संरक्षा में सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है तो ऐसी स्थिति में उन्हीं महारानी द्वारा बनाई गई कोठी व अन्य मंदिरो की अनदेखी करना, भू माफिया को खुली छूट देना शासन प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
कहा कि काशी के हृदय स्थल पर धार्मिक परंपरा का प्रतीक एवं वास्तु की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस भवन में होल्कर राज्य के, भारत में विलय से पूर्व के वैधानिक अध्यासी, सेवक, भक्त, अनुयायी, किरायेदार रहते है। ट्रस्ट बन जाने के बाद भी किराया अदा करते हैं। वर्तमान में डी-18/16 एवं अन्य भवनों को मौखिक खरीद के नाम पर उसमें आबाद गरीब असहाय काशी भक्त लोगों को निकालने के लिए कुछ भू माफिया द्वारा संपत्ति की सुरक्षा के लिए गठित ट्रस्टियों व अधिकारियों से मिल कर येन केन प्रकारेण भवन की व्यवस्था को समाप्त करके गंगा तट के पवित्र भूमि पर स्थित इस महल को आधुनिक होटल का स्वरूप, दे कर आमिष भोजनालय व आमोद-प्रमोद का साधन बनाना चाहते हैं। ऐसे धन लोलुप व्यक्ति काशी की संस्कृति को नष्ट कर के धन कमाने के उद्देश्य से महारानी के महल तथा अन्य भवनों पर कब्जा जमाते चले जा रहे है।
मीडिया से मुखातिब मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में उनको प्रतिबंधित किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि उसमें रहने वाले किरायेदारों को डरा धमका कर व फर्जी मुकदमें में फंसा कर प्रताड़ित करके भवन को हड़पने और कब्जा करने की कार्रवाई चल रही है। यहां की महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। महिलाओं और बच्चों को रास्ते में घेर कर धमकाया जा रहा है। इसके चलते बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है। महिलाएं घर से निकलने में डर रही हैं। होल्कार बाड़ा में रहने वाले लोग नित्यप्रति किसी न किसी षड़यंत्र का शिकार बनाए जा रहे है। लोग डरे हुए हैं।
विभा मिश्रा के साथ श्रुति नागवंशी, पार्वती देवी, अमला सिंह ने कहा कि इन सभी संपत्तियों की मौजूदा स्थिति की सीबीआई जांच भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संयुक्त रूप से कराई जाए ताकि गंगा तट पर स्थित इस संपत्ति व अहिल्याबाई होल्कर द्वारा लोक कल्याण के लिए कराये गए 12,672 निर्माणों को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर उन धरोहरों की बिक्री तथा अवैध कब्जे को रोका जा सके। अस्तित्व को बचाया जा सके। असामाजिक तत्वों से इसकी रक्षा हो सके।
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