यूपी में सरकार किसी की हो, किसी के पास नहीं थी चुलबुल सिंह की काट
यूपी में सपा, बसपा या फिर बीजेपी की सरकार हो। किसी भी दल के नेता के पास चुलबुल सिंह की रणनीति की काट नहीं थी। चुलबुल सिंह का क्षत्रिय वोट बैंक के साथ अन्य जाति के लोगों पर भी अच्छी पकड़ थी, जिसके चलते एमएलसी की सीट पर चुलबुल सिंह के परिवार के अलावा किसी को विजय नहीं मिली। बीजेपी से खुद चुलबुल सिंह लगातार 12 साल तक विधान परिषद सदस्य रहे। इसके बाद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह को विधान परिषद सदस्य बनाया है। वर्तमान में इसी सीट पर माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह काबिज है यह भी चुलबुल सिंह की रणनीति के चलते ही हुआ है। बीमारी के चलते चुलबुल सिंह का निधन हो चुका है, जिसके चलते बृजेश सिंह को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है।
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यूपी में सपा, बसपा या फिर बीजेपी की सरकार हो। किसी भी दल के नेता के पास चुलबुल सिंह की रणनीति की काट नहीं थी। चुलबुल सिंह का क्षत्रिय वोट बैंक के साथ अन्य जाति के लोगों पर भी अच्छी पकड़ थी, जिसके चलते एमएलसी की सीट पर चुलबुल सिंह के परिवार के अलावा किसी को विजय नहीं मिली। बीजेपी से खुद चुलबुल सिंह लगातार 12 साल तक विधान परिषद सदस्य रहे। इसके बाद बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह को विधान परिषद सदस्य बनाया है। वर्तमान में इसी सीट पर माफिया से माननीय बने बृजेश सिंह काबिज है यह भी चुलबुल सिंह की रणनीति के चलते ही हुआ है। बीमारी के चलते चुलबुल सिंह का निधन हो चुका है, जिसके चलते बृजेश सिंह को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है।
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बृजेश सिंह ने सबसे पहले वर्ष 2012 में सैयदराजा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। क्षत्रियों के दबदबे वाले क्षेत्र से ही बृजेश सिंह राजनीति में इंट्री करना चाहते थे। माना जाता है कि उस समय बृजेश सिंह के बड़े भाई व पूर्व एमएलसी चुलबुल सिंह ने किन्ही कारणों से चुनाव की कमान नहीं सभाली थी, जिसके चलते बृजेश सिंह का बड़ा सपना टूट गया था और उन्हें चुनाव में हार मिली थी। इसके बाद बृजेश सिंह को राजनीति में लाने का जिम्मा उनके बड़े भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह ने उठाया। चुलबुल सिंह को जिला पंचायत चुनाव का चाणक्य माना जाता था और इसी चाणक्य ने अपनी रणनीति के बदौलत बृजेश सिंह को वाराणसी, भदोही व चंदौली सीट से एमएलसी बनाया। दुनिया छोड़ कर जाने से पहले चुलबुल सिंह ने बृजेश सिंह को राजनीति की दुनिया में पहुंचा दिया है जहां पहुंचना बृजेश का सबसे बड़ा सपना था।
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रामबिहारी चौबे के बाद चुलबुल सिंह के निधन से कमजोर होगा बृजेश खेमा
बृजेश सिंह खेमा अब कमजोर हो सकता है इसकी मुख्य वजह रामबिहारी चौबे व चुलबुल सिंह का निधन होना है। इन दोनों लोगों की रणनीति से बृजेश खेमा को बड़ी राहत मिलती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। वर्तमान में चुलबुल सिंह के पुत्र सुशील सिंह सकलडीहा से बीजेपी विधायक है और बृजेश खुद एमएलसी है। भविष्य में होने वाले चुनाव में जब बृजेश सिंह व सुशील सिंह उतरेंगे तो उन्हें चुलबुल सिंह की सबसे अधिक कमी खलेगी।
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बृजेश सिंह खेमा अब कमजोर हो सकता है इसकी मुख्य वजह रामबिहारी चौबे व चुलबुल सिंह का निधन होना है। इन दोनों लोगों की रणनीति से बृजेश खेमा को बड़ी राहत मिलती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। वर्तमान में चुलबुल सिंह के पुत्र सुशील सिंह सकलडीहा से बीजेपी विधायक है और बृजेश खुद एमएलसी है। भविष्य में होने वाले चुनाव में जब बृजेश सिंह व सुशील सिंह उतरेंगे तो उन्हें चुलबुल सिंह की सबसे अधिक कमी खलेगी।
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कपसेठी हाउस को बढ़ाया था राजनीति में कद
बृजेश सिंह के बड़े भाई चुलबुल सिंह ने ही कपसेठी हाउस का राजनीति में कद बढ़ाया था। चुलबुल सिंह के बड़े बेटे सुशील सिंह विधायक है। बृजेश सिंह खुद एमएलसी है जबकि बीजेपी विधायक सुशील सिंह की पत्नी किरन सिंह भी जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। चुलबुल सिंह के छोटे बेटे सुजीत सिंह उर्फ डाक्टर खुद जिला पंचायत सदस्य हैं, जबकि छोटी बहु इन्दू सिंह ब्लाक प्रमुख हैं और चुलबुल सिंह की पत्नी गुलाबी देवी बसवरिया से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं।
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