घोसी विधानसभा सीट से चुनाव जीते विजय राजभर की कहानी बहुत अनोखी है। बीजेपी विधायक नन्दलाल राजभर के पिता मुंशी लाल ओवरब्रिज के नीचे फुटपाथ में सब्जी बेचते हैं और इनका घर बीजेपी के जिला कार्यालय के पास है। बचपन से ही विजय बीजेपी कार्यालय को देखता रहता था और वहां आने-जाने वाले नेताओं को देख कर खुद चुनाव लडऩे का सपना देखता था। सब्जी बेचने वाले का लड़का चुनाव लडऩे की बात करता था तो लोग हंसते थे और कहते थे कि चुनाव लडऩे के लिए बहुत पैसे की जरूरत होती है तुम इतना पैसा कहा से ला पाओगे। परिजन भी बेटे को समझाते थे कि ऐसा सपना देखा जो पूरा हो सके। हम लोगों के जो हालात है उसमे चुनाव लडऩा संभव नहीं होगा। सभी ने चाहा कि विजय राजभर राजनीति में जाने की न सोचे और कुछ काम करने लगे। विजय को अपने सपने पर एकीन था और उसने जमकर मेहनत की। लोगों से सहयोग लेकर सबसे पहले अपने वार्ड शहादतपुरा मुहल्ले से सभासद का चुनाव जीता। चुनावी जीत ने विजय में इतना हौसला भर दिया कि उसे यकीन हो गया था वह एक दिन बड़ा जनप्रतिनधि बनेगा। कहते है कि किस्मत भी बहादुरों का साथ देती है और विजय के साथ ऐसा ही हुआ। घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने विजय को प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीत कर उन्होंने अपने सपने को हकीकत में बदल दिया।
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