पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के शहर उत्तरी से विधायक रवीन्द्र जायसवाल की यह पहल अन्य नेताओं के लिए नजीर बन सकती है। रवीन्द्र जायसवाल के पिता रामशंकर जायसवाल संघ के कार्यसेवक थे और वह चाहते थे कि उनका बेटा राजनीति में अपना नाम करे। रवीन्द्र जायसवाल जब राजनीति में आ रहे थे तो उनके पिता ने एक वायदा लिया था। पिता ने कहा था कि राजनीति का पैसा कभी घर मत लाना। राजनीति में समाज सेवा करने के लिए जा रहे रहे हो। बेटे ने अपने पिता से वायदा किया था कि वह राजनीति का पैसा कभी घर नहीं लायेंगे। बेटा पहले विधायक बना तो पिता से किया हुआ वायदा निभाया और एमएलए पद का वेतनमान कभी नहीं लिया। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो पहली बार रवीन्द्र जायसवाल को स्टांप, न्यायालय, शुल्क तथा पंजीयन के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मिला है। मंत्री बनने के बाद रवीन्द्र जायसवाल ने अपने जन्मदिन १ सितम्बर को मनाया और इसी दिन वेतन नहीं लेने का ऐलान किया।
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