बीजेपी नेता रवीन्द्र जायसवाल व अन्य लोगों पर वर्ष 2007 में कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। थाने में लोक सेवक को कत्र्तव्य के निवर्हन से डराने के लिए हमला करना, लोक शांति भंग करना आदि धाराओं में दर्ज कराया गया था। मुकदमे में आरोप साबित हो जाने पर छह माह से लेकर सात साल तक सजा का प्रावधान है। मुकदमे की सुनवाई चल रही थी इसी बीच प्रदेश सरकार के न्याय अनुभाग (फौजदारी) के विशेष सचिव ने बनारस के डीएम से रिपोर्ट मांगी थी कि क्या मंत्री रवीन्द्र जायसवाल पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जा सकता है। इसके बाद डीएम सुरेन्द्र सिंह ने शासन के पत्र का हवाला देते हुए लोक अभियोजन अधिकारी और एसएसपी से रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में मुकदमा चलाये जाने के पर्याप्त साक्ष्य होने की जानकारी दी गयी थी इसके बाद डीएम ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी। डीएम ने कहा कि मुकदमा चलाये जाने का पर्याप्त साक्ष्य है यदि गवाह घटना का समर्थन करेगा तो आरोपियों को सजा होगी। ऐसे में मुकदमा वापस लेना न्यायोचित नहीं होगा। डीएम की रिपोर्ट के बाद बीजेपी मंत्री पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है।
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