बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2019 पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम पर लड़ा था और प्रचंड बहुमत के साथ केन्द्र में सरकार बनायी है। बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने में यूपी का बड़ा योगदान है। यूपी में बीजेपी ने सपा व बसपा गठबंधन होने के बाद भी 64 सीटो पर विजय हासिल की है। बीजेपी जानती है कि उसे लंबे समय तक सत्ता में रहना है तो यूपी को अपना गढ़ बनाये रखना होगा। यह तभी संभव होगा जब बीजेपी के सामने कमजोर विपक्ष होगा। पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने वर्ष 2017 में यूपी में प्रचंड बहुमत से सरकार बनायी थी और प्रदेश की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ को मिली थी। इसके बाद यूपी के तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली थी लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से अपनी ताकत दिखा दी है। बीजेपी की निगाहे अब 11सीटों पर होने वाले उपचुनाव के साथ यूपी विधानसभा 2022 पर टिक गयी है जहां पर सपा व बसपा का गठबंधन नहीं होने पर पूर्वांचल में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना नहीं रहेगी।
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वोटों के बंटवारे से आसान होती है बीजेपी की राह
बीजेपी कभी चुनाव में सीधी लड़ाई नहीं लडऩा चाहती है। वजह साफ है कि जब भी वोटों का बंटवारा नहीं होता है तब बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ता है। एक ही स्थिति में बीजेपी सीधी लड़ाई लडऩा चाहती है जब प्रचार की जिम्मेदारी पीएम नरेन्द्र मोदी उठाते हैं। यूपी में होने वाले उपचुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रचार करने की संभावना बहुत कम है ऐसे में बीजेपी के लिए सपा व बसपा का अलग होना फायदेमंद साबित होगा।
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बीजेपी कभी चुनाव में सीधी लड़ाई नहीं लडऩा चाहती है। वजह साफ है कि जब भी वोटों का बंटवारा नहीं होता है तब बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ता है। एक ही स्थिति में बीजेपी सीधी लड़ाई लडऩा चाहती है जब प्रचार की जिम्मेदारी पीएम नरेन्द्र मोदी उठाते हैं। यूपी में होने वाले उपचुनाव में पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रचार करने की संभावना बहुत कम है ऐसे में बीजेपी के लिए सपा व बसपा का अलग होना फायदेमंद साबित होगा।
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मुस्लिम वोटों का होगा बंटवारा, सपा व बसपा की लड़ाई से भी होगा फायदा
सपा व बसपा के अलग हो जाने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होना तय है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से खुद को गठबंधन से अलग होने की बात कही है उससे सपा के कैडर वोटरों में नाराजगी बढ़ सकती है यदि ऐसा हुआ तो पूर्वांचल में बीजेपी की राह आसान हो जायेगी। यूपी चुनाव 2022 का परिणाम सीएम योगी आदित्यनाथ का भविष्य तय करने वाला होगा। बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने जिस तरह से 50प्रतिशत वोटरों को ध्यान में रख कर रणनीति बनायी थी उसका फायदा बीजेपी को हुआ था। अमित शाह की रणनीति के बाद भी बीजेपी को पूर्वांचल में कई सीटे हारनी पड़ी थी। ऐसे में सपा व बसपा गठबंधन टूटने से बीजेपी को राहत मिलेगी और चुनाव की राह आसान हो सकती है।
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सपा व बसपा के अलग हो जाने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होना तय है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से खुद को गठबंधन से अलग होने की बात कही है उससे सपा के कैडर वोटरों में नाराजगी बढ़ सकती है यदि ऐसा हुआ तो पूर्वांचल में बीजेपी की राह आसान हो जायेगी। यूपी चुनाव 2022 का परिणाम सीएम योगी आदित्यनाथ का भविष्य तय करने वाला होगा। बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने जिस तरह से 50प्रतिशत वोटरों को ध्यान में रख कर रणनीति बनायी थी उसका फायदा बीजेपी को हुआ था। अमित शाह की रणनीति के बाद भी बीजेपी को पूर्वांचल में कई सीटे हारनी पड़ी थी। ऐसे में सपा व बसपा गठबंधन टूटने से बीजेपी को राहत मिलेगी और चुनाव की राह आसान हो सकती है।
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