वैज्ञानिक डॉ.राकेश पांडेय व डॉ. कामरान ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी का अध्ययन इस दिशा में कारगर साबित होगा। उन्हें उम्मीद है कि यह अध्ययन अच्छा परिणाम देगा।
कारगर हो सकता है ये रिसर्च दरअसल वैज्ञानिकों की तरफ से जो रिसर्च किया जा रहा है वो उन लोगों पर है जो कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आए लेकिन उन पर संक्रमण का असर नहीं हुआ। वैज्ञानिकों ने ऐसे लोगों का सैंपल लेकर अध्ययन शुरू किया है। इसके जरिये बॉडी में विकसित उस तत्व का पता लगाया जा सकेगा जो कोरोना के खतरे को रोकने में कामयाब साबित हुआ है। उसी के आधार पर दवा की योजना बनाई जाएगी।
400 सामान्य लोगों की हुई सैम्पलिंग जांच के लिए जिले 10 गांवों के 400 उन लोगों को चिन्हित किया गया था, जो सिर्फ गांव में ही रहते हैं। जांच के दौरान यह देखा जाएगा कि इन लोगों के अंदर क्या कोई सिम्टम है, या फिर गांव में रहने वालों की इम्युनिटी पावर से कोरोना का खतरा कितना कम हो रहा है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी जांच डीटीओ डॉ. एसपी अग्रवाल ने बताया कि आईसीएमआर की टीम ने दो दिन में 400 सैंपल लिया है। सैंपल से कोरोना की जांच के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच की जाएगी।