उधर प्रोफेसरों और कतिपय संगठन से जुड़े लोगों की एफबी पोस्ट के बाद सामान्यजन के बीच भी चर्चा छिड़ गई है। कई लोग इस बहस पर आपत्ति जताने लगे हैं। इस मामले में पत्रिका ने चीफ प्रॉक्टर प्रो ओपी राय से संपर्क किया तो उनका कहना था कि यह कोई नई परंपरा नहीं है। मुझे नई परंपरा शुरू करने का कोई अधिकार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक याद है करीब 40-45 वर्ष से विश्वविद्यालय परिसर में ताजिया निकलता है। बताया कि यह ताजिया छित्तूपुर से निकलता है और लॉ फेकिलिटी से होते महिला महाविद्यालय के रास्ते मुख्य द्वार से बाहर निकलता रहा है। इस साल भी सुबह 10 बजे वह ताजिया निकला। अब इसे कुछ छात्र बिना वजह मुद्दा बना कर धरने पर बैठे हैं जो उचित नहीं।