बनारस सीट पर 17 पर हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी, कम्यूनिस्ट पार्टी से लेकर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी तक चुनाव जीत चुके हैं। आम तौर पर इस सीट पर दिग्गज ही चुनाव लड़ते आये हैं। पहली बार बनारस सीट से वर्ष 2009 में बाहुबली मुख्तार अंसारी ने चुनावी ताल ठोकी थी। बीजेपी के कद्दावर नेता डा.मुरली मनोहर जोशी को मुख्तार अंसारी ने बड़ी चुनौती दी थी। कांटे का संघर्ष देखने को मिला था और 20 हजार से कुछ अधिक वोटों से ही चुनाव जीत पाये थे। इसके बाद वर्ष 2019 में बाहुबली अतीक अहमद नामांकन करने जा रहे हैं। 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा कि किसी प्रत्याशी को जीत मिलती है।
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वाराणसी संसदीय सीट से अब तक के सांसद व पार्टी का नाम
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने 1952 से लेेकर 1962 तक वाराणसी सीट पर सांसद रहे थे। 1967 में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के सत्य नारायण सिंह, 1971 में कांग्रेस के राजाराज शास्त्री, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी, 1984 में कांग्रेस के श्याम लाल यादव, 1989 में अनिल कुमार शास्त्री, 1991 में कांग्रेस के श्रीशंद्र दीक्षित ने संसदीय चुनाव जीता था। इसके बाद 1996 से 1999 तक बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार तीन बार संसदीय चुनाव जीता था। वर्ष 2004 में कांग्रेस के डा.राजेश मिश्रा इस सीट से संासद चुने गये थे। वर्ष 2009 में डा.मुरली मनोहर जोशी व वर्ष 2014 में बीजेपी के नरेन्द्र मोदी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने 1952 से लेेकर 1962 तक वाराणसी सीट पर सांसद रहे थे। 1967 में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के सत्य नारायण सिंह, 1971 में कांग्रेस के राजाराज शास्त्री, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी, 1984 में कांग्रेस के श्याम लाल यादव, 1989 में अनिल कुमार शास्त्री, 1991 में कांग्रेस के श्रीशंद्र दीक्षित ने संसदीय चुनाव जीता था। इसके बाद 1996 से 1999 तक बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार तीन बार संसदीय चुनाव जीता था। वर्ष 2004 में कांग्रेस के डा.राजेश मिश्रा इस सीट से संासद चुने गये थे। वर्ष 2009 में डा.मुरली मनोहर जोशी व वर्ष 2014 में बीजेपी के नरेन्द्र मोदी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
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बाहरी प्रत्याशी को मिल जाता है जनता का साथ, बाहुबली नहीं आते रास
बनारस की जनता बाहरी प्रत्याशी को साथ दे देती है लेकिन अभी तक बाहुबलियों का साथ नहीं दिया है। बनारस में भी कई बाहुबली नेता है जो विधानसभा से लेकर एमएलसी चुनाव लड़ते आये हैं लेकिन इन बाहुबलियों ने अभी तक संसदीय चुनाव नहीं लड़ा है। मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद भी स्थानीय नहीं है और क्रमश: गाजीपुर से लेकर प्रयागराज से यहां आंकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इस बार बाहुबली का खाता खुलता है कि नहीं। इस पर सभी की निगाहे लगी हुई है।
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