वाराणसी

बनारस लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव में बाहुबलियों का नहीं खुला है खाता,

कांटे की लड़ाई लडऩे के बाद भी हार गये थे मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद आजमाने जा रहे भाग्य

वाराणसीApr 29, 2019 / 12:39 pm

Devesh Singh

mukhtar ansari and atiq ahmed

वाराणसी. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए 19 मई को होने वाले सांतवे चरण के चुनाव के लिए सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन है। इस दिन अनेक प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर रहे हैं। बीजेपी ने पीएम नरेन्द्र मोदी को प्रत्याशी बनाया है जबकि कांग्रेस से अजय राय व सपा-बसपा महागठबंधन से शालिनी यादव चुनावी मैदान में है। प्रयागराज से बाहुबली अतीक अहमद ने भी यहां से पर्चा दाखिल करने की तैयारी की है। बड़ा सवाल यह है कि बनारस में पहले के हुए चुनाव में बाहुबलियों को कितनी जीत मिली है। बनारस सीट पर अभी तक किसी बाहुबली ने अपना खाता नहीं खोला है और एक भी चुनाव में जीत नहीं मिली है।
यह भी पढ़े:-शालिनी यादव का पीएम मोदी पर बड़ा हमला, कहा लाखों के सूट पहनने व करोड़ों रुपये में विदेशी दौरे करने वाले फकीर नहीं होते


बनारस सीट पर 17 पर हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी, कम्यूनिस्ट पार्टी से लेकर इंडियन नेशनल लोकदल के प्रत्याशी तक चुनाव जीत चुके हैं। आम तौर पर इस सीट पर दिग्गज ही चुनाव लड़ते आये हैं। पहली बार बनारस सीट से वर्ष 2009 में बाहुबली मुख्तार अंसारी ने चुनावी ताल ठोकी थी। बीजेपी के कद्दावर नेता डा.मुरली मनोहर जोशी को मुख्तार अंसारी ने बड़ी चुनौती दी थी। कांटे का संघर्ष देखने को मिला था और 20 हजार से कुछ अधिक वोटों से ही चुनाव जीत पाये थे। इसके बाद वर्ष 2019 में बाहुबली अतीक अहमद नामांकन करने जा रहे हैं। 23 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा कि किसी प्रत्याशी को जीत मिलती है।
यह भी पढ़े:-वाराणसी संसदीय सीट से पीएम नरेन्द्र मोदी के अतिरिक्त बीजेपी की एक और प्रत्याशी ने किया नामांकन
वाराणसी संसदीय सीट से अब तक के सांसद व पार्टी का नाम
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने 1952 से लेेकर 1962 तक वाराणसी सीट पर सांसद रहे थे। 1967 में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) के सत्य नारायण सिंह, 1971 में कांग्रेस के राजाराज शास्त्री, 1977 में इंडियन नेशनल लोकदल, 1980 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी, 1984 में कांग्रेस के श्याम लाल यादव, 1989 में अनिल कुमार शास्त्री, 1991 में कांग्रेस के श्रीशंद्र दीक्षित ने संसदीय चुनाव जीता था। इसके बाद 1996 से 1999 तक बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार तीन बार संसदीय चुनाव जीता था। वर्ष 2004 में कांग्रेस के डा.राजेश मिश्रा इस सीट से संासद चुने गये थे। वर्ष 2009 में डा.मुरली मनोहर जोशी व वर्ष 2014 में बीजेपी के नरेन्द्र मोदी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
यह भी पढ़े:-जानिए कौन है पीएम नरेन्द्र मोदी के चार प्रस्तावक, बेहद खास है उनकी कहानी
बाहरी प्रत्याशी को मिल जाता है जनता का साथ, बाहुबली नहीं आते रास
बनारस की जनता बाहरी प्रत्याशी को साथ दे देती है लेकिन अभी तक बाहुबलियों का साथ नहीं दिया है। बनारस में भी कई बाहुबली नेता है जो विधानसभा से लेकर एमएलसी चुनाव लड़ते आये हैं लेकिन इन बाहुबलियों ने अभी तक संसदीय चुनाव नहीं लड़ा है। मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद भी स्थानीय नहीं है और क्रमश: गाजीपुर से लेकर प्रयागराज से यहां आंकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इस बार बाहुबली का खाता खुलता है कि नहीं। इस पर सभी की निगाहे लगी हुई है।
यह भी पढ़े:-बीजेपी ने खास कारण से पीएम नरेन्द्र मोदी के रोड शो में नहीं नामांकन में दिखायी एनडीए की शक्ति

Hindi News / Varanasi / बनारस लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव में बाहुबलियों का नहीं खुला है खाता,

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.