बनारस सीट पर चुनावी लड़ाई उस समय दिलचस्प हो गयी थी जब जेल में बंद बाहुबली अतीक अहमद ने बनारस से पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया। अतीक अहमद के प्रतिनिधि ने बकायदे बनारस सीट पर आकर उनका नामांकन किया था। इसके बाद अतीक अहमद को विश्वास था कि उन्हें चुनाव लडऩे के नाम पर जेल से पैरोल मिल जायेगी। अतीक ने पैरोल के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने पैरोल देने से इंकार कर दिया था इसके बाद अतीक अहमद ने मीडिया को एक पत्र जारी किया था जिसमे पैरोल नहीं मिलने पर चुनावी मैदान से हट जाने का ऐलान किया था। अतीक अहमद ने नामांकन कर दिया था और उन्हें ट्रक सिंबल भी मिल चुका था इसलिए चुनावी मैदान से हट जाने के बाद भी ईवीएम में अतीक का नाम व सिंबल था जिस पर कुल ८५५ वोट पड़े।
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कांग्रेस नहीं जुटा पायी थी प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाने की हिम्मत, तेज बहादुर यादव का पर्चा हो गया था खारिज
बनारस सीट का चुनाव कई मायानों में बेहद दिलचस्प था। पीएम नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रिंयका गांधी ने बनारस से चुनाव लडऩे की इच्छा जतायी थी। प्रियंका गांधी के चलते ही बनारस से कांग्रेस ने पहले प्रत्याशी नहीं उतारे थे बाद में कांग्रेस को समझ आ गया कि प्रियंका गांधी भी बनारस से चुनाव लड़ती है तो उन्हें शिकस्त खानी पड़ सकती है इसके बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को बनारस से नहीं उतारा। ऐसी ही कुछ कहानी अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन की है। पहले यहां पर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को प्रत्याशी बनाया था और तेज बहादुर यादव के साथ शालिनी यादव का नामांकन भी कराया गया था। इसके बाद बनारस सीट पर जबरदस्त चुनावी जंग की लोगों को उम्मीद हो गयी थी। तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज हो जाने के बाद शालिनी यादव ही महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। शालिनी यादव भले ही पीएम नरेन्द्र मोदी को टक्कर नहीं दे पायी थी लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को तीसरे स्थान पर धकेलने में सफलता मिल गयी थी।
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बनारस सीट का चुनाव कई मायानों में बेहद दिलचस्प था। पीएम नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रिंयका गांधी ने बनारस से चुनाव लडऩे की इच्छा जतायी थी। प्रियंका गांधी के चलते ही बनारस से कांग्रेस ने पहले प्रत्याशी नहीं उतारे थे बाद में कांग्रेस को समझ आ गया कि प्रियंका गांधी भी बनारस से चुनाव लड़ती है तो उन्हें शिकस्त खानी पड़ सकती है इसके बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को बनारस से नहीं उतारा। ऐसी ही कुछ कहानी अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन की है। पहले यहां पर बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को प्रत्याशी बनाया था और तेज बहादुर यादव के साथ शालिनी यादव का नामांकन भी कराया गया था। इसके बाद बनारस सीट पर जबरदस्त चुनावी जंग की लोगों को उम्मीद हो गयी थी। तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज हो जाने के बाद शालिनी यादव ही महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। शालिनी यादव भले ही पीएम नरेन्द्र मोदी को टक्कर नहीं दे पायी थी लेकिन उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को तीसरे स्थान पर धकेलने में सफलता मिल गयी थी।
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