वाराणसी

बाहुबली अतीक को मिली मुख्तार अंसारी से बड़ी चुनौती, तय होगा किसका बड़ा जनाधार

लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम से होगा खुलासा, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीApr 29, 2019 / 07:26 pm

Devesh Singh

Bahubali ateeq Ahmed and Mukhtar Ansari

वाराणसी. बाहुबली अतीक अहमद को मुख्तार अंसारी से बड़ी चुनौती मिली है। इस चुनौती के साथ पता चलेगा कि किस नेता का कितना जनाधार है। लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो चुकी है। 23 मई का परिणाम इन बाहुबली नेता के लिए बेहद खास हो सकता है।
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वाराणसी संसदीय सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2009 के संसदीय चुनाव में बीजेपी के दिग्गज नेता डा.मुरली मनोहर जोशी को चुनौती दी थी। उस समय डा.जोशी को बीजेपी के बड़ नेताओं में एक माना जाता था। मुख्तार अंसारी ने अपनी पार्टी कौएद से नामांकन किया था और जेल में रहते हुए ही चुनाव लड़ा था। भीषण गर्मी में कांटे का संघर्ष देखने को मिला था। चुनाव परिणाम आने पर डा.मुरली मनोहर जोशी लगभग 20 हजार वोट से ही जीत पाये थे। उस समय माना जा रहा था कि दोपहर तक चुनाव हजार चुके डा.जोशी को जीताने के लिए बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सारी ताकत लगा दी थी। मुख्तार अंसारी को एक लाख 85 हजार कुछ वोट मिले थे जबकि डा.जोशी को दो लाख तीन हजार वोट मिले थे। जबकि बाहुबली अतीक अहमद को मुख्तार अंसारी से बड़ी चुनौती मिली है। अतीक को सामना पीएम नरेन्द्र मोदी से होगा। जिनकी लहर के सहारे बीजेपी देश भर की संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
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अतीक अहमद को मिले वोट तय करेंगे किसका जनाधार अधिक है
बाहुबली अतीक अहमद भी पहली बार वाराणसी से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। 23 मई को पता चलेगा कि अतीक अहमद का कितने वोट मिले है। वोट के आधार पर राजनीतिक जगत में यह तय किया जायेगा कि मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद में से किसके प्रशंसक अधिक है। मुख्तार अंसारी का प्रभाव गाजीपुर से लेकर मऊ तक में है जबकि अतीक अहमद का प्रभाव प्रयागराज में है। दोनों ही बाहुबली नेता के लिए वाराणसी नया क्षेत्र है इसलिए यह चुनाव तय कर सकता है कि किस नेता का जनाधार अधिक है।
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मुख्तार की तरफ अतीक अहमद भी मुस्लिम वोट बैंक के सहारे
बनारस में मुस्लिम वोटरों की संख्या एक लाख से अधिक है। मुख्तार अंसारी भी मुस्लिम वोट बैंक के सहारे बनारस से चुनाव लड़े थे और इन्हीं वोटरों के लालच में अतीक अहमद भी बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं। अतीक अहमद निर्दल ही मैदान में है जबकि मुख्तार अंसारी अपनी पार्टी कौएद से चुनाव लड़े थे। यूपी की राजनीति अब बदल चुकी है। पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी को पटखनी देने के लिए अखिलेश यादव व मायावती ने सारी लड़ाई भूला कर गठबंधन किया है। राहुल गांधी ने कांग्रेस की ताकत बढ़ाने के लिए पूर्वी यूपी की कमान प्रियंका गांधी को सौंपी है। एक-एक वोट के लिए मारामारी हो रही है ऐसे में अतीक अहमद अपनी राजनीतिक ताकत किस तरह दिखा पाते हैं इस पर सभी की निगाहें लगी है।
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