अतीक अहमद के चुनाव प्रचार में नहीं आने से उनकी राह कठिन हो सकती है। अतीक अहमद ने पहले शिवपाल यादव की पार्टी से नामांकन करने की तैयारी की थी लेकिन शिवपाल यादव ने अतीक अहमद को टिकट नहीं दिया था जिसके बाद अतीक ने निर्दल ही नामांकन दाखिल किया है। अतीक अहमद को किसी पार्टी से टिकट मिलता तो चुनाव प्रचार करने के लिए उस दल की कार्यकर्ताओं की फौज रहती। लेकिन निर्दल लडऩे से कार्यकर्ताओं को जुटाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अतीक के भाई व बेटे पर पहले ही पुलिस ने शिकंजा कसा हुआ है इसलिए उनके चुनाव प्रचार के लिए आने की संभावना बेहद कम है। बाहुबली अतीक अहमद भले ही बनारस से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन यहां पर आकर चुनाव प्रचार करना उनके भाग्य में नहीं है।
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बाहुबली मुख्तार अंसारी को मिला था बसपा कार्यकर्ताओं का साथ
बाहुबली मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2009 में बीजेपी के दिग्गज नेता डा.मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ बनारस संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। मुख्तार अंसारी की बनारस में अपनी पकड़ थी इसके बाद बसपा प्रत्याशी होने से पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी साथ मिला था जिसके चलते जेल में रहते हुए भी मुख्तार अंसारी ने डा.जोशी को जबरदस्त टक्कर दी थी। इसके चलते डा.मुरली मनोहर जोशी जैसा दिग्गज नेता 20 हजार से कुछ अधिक वोटों से ही चुनाव जीत पाया था।
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