वाराणसी

मोक्ष की कामना से वाराणसी आने वालों को अरुण जेटली ने दी थी ये सौगात

-मोक्ष की कामना से हर साल लाखों लोग आते हैं काशी-काशी में मृत्यु भले न हुई हो लेकिन महाश्मशान पर शवदाह होती है अंतिम इच्छा-ऐसे लोगों को होने वाली परेशानी को समझा था अरुण जेटली ने
 

वाराणसीAug 24, 2019 / 03:22 pm

Ajay Chaturvedi

जल थल शव वाहिनी का लोकार्पण करते अरुण जेटली (फाइल फोटो)

वाराणसी. पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री और भाजपा के जाने माने कद्धावर नेता अब भले ही हमारे बीच नहीं रहे, पर उन्होंने काशीवासियों और खास तौर पर मोक्ष की कामना से मोक्ष नगरी काशी आने वालों को जो सौगात दी वह हमेशा .याद रखी जाएगी। वर्तमान में उनकी उस सौगात से हजारों, लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
कई दिनों तक दिल्ली एम्स में भर्ती पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का शनिवार की दोपहर निधन हो गया। इससे जहां भाजपा सहित पूरा देश मर्माहत है। इससे काशी भी अछूती नहीं है। लेकिन वो लोग जो उनकी सौगात का लाभ उठा रहे हैं वो किसने दी उसे भले न जान रहे हों पर उनकी दी हुई सुविधा हासिल कर उन्हें जाने-अनजाने ही आशीर्वाद जरूर देते हैं। आखिर वो सुविधा ही ऐसी थी।
दरअसल अरुण जेटली को ऐसे लोगों की पीड़ा का एहसास हुआ जो दूर दराज से मोक्ष नगरी काशी आते थे। ऐसे लोग जिन्हें काशी आने के बाद शवदाह में दिक्कत होती थी उन सब की पीड़ा को उन्होंने शिद्दत से महसूस किया और उन्हें होने वाली असुविधा से मुक्ति दिलाई।
जेटली ने 28 मार्च 2015 को अस्‍सी घाट पर जल- थल शव वाहिनी का लोकार्पण किया था ताकि दूर दराज से मोक्ष की कामना से आने वाले लोगों को कोई दिक्कत न हो। उस वक्त राम कथा मर्मज्ञ मोरारी बापू भी मौजूद थे। मोक्ष नगरी काशी में दूर दराज से लोग शवदाह के लिए आते हैं मगर उनके आने जाने के रास्‍तों की जटिलता को देखते हुए गंगा में जल शव वाहिनी की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी।
इतना ही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लघु उद्योगों को संजीवनी देने के साथ ही बुनकरों और हथकरघा उद्योग की बेहतरी के लिए कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वह चुनाव के मौके पर खराब स्‍वास्‍थ्‍य के बाद भी आए और पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से विरोधियों पर उन्‍होंने निशाना भी साधा। मार्च 2017 में उन्‍होंने वाराणसी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए नोटबंदी की प्रासंगिकता भी बताई और प्रदेश के राजनीतिक दलों को भी कठघरे में खड़ा किया था।

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