वाराणसी

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, ट्रांसजेंडर भी ले सकते हैं बच्चा गोद

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को लेकर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एक ट्रांसजेंडर महिला भी बच्चे को गोद ले सकती है। कोर्ट ने कहा कि एकल माता पिता हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के तहत किसी भी बच्चे को गोद लिया जा सकता है।

वाराणसीFeb 22, 2022 / 06:32 pm

Karishma Lalwani

Allahabad Highcourt Order Transgender can also Adopt Child

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को लेकर बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एक ट्रांसजेंडर महिला भी बच्चे को गोद ले सकती है। कोर्ट ने कहा कि एकल माता पिता हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के तहत किसी भी बच्चे को गोद लिया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकुर और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने एक ट्रांसजेंडर महिला रीना किन्नर और उसके पति द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में उनके विवाह को रजिस्टर्ड करने के लिए ऑनलाइन आवेदन पर उप निबंधक वाराणसी को विचार करने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी।
याची (ट्रांसजेंडर महिला) और उसके पति (पुरुष) ने दिसंबर 2000 में महावीर मंदिर अर्दली बाजार, वाराणसी में हिंदू रीति से शादी की। उन्होंने एक बच्चे को गोद लेने का फैसला किया। बच्चे को गोद लेने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने उप-निबंधक वाराणसी के समक्ष ऑनलाइन आवेदन किया। उनकी शादी को पंजीकृत नहीं किया गया क्योंकि याची ट्रांसजेंडर महिला है। इसलिए उन्हें सब-निबंधक को अपनी शादी को पंजीकृत करने का निर्देश देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। ताकि वे एक बच्चे को गोद ले सकें।
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हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को याचिकाकर्ताओं के ऑनलाइन आवेदन पर विस्तृत आदेश पारित करने का निर्देश दिया। यह भी कहा कि बच्चा गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं।

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