वाराणसी

शिवपाल यादव को झटका देने के लिए अखिलेश यादव ने खेल दिया बड़ा दांव, सपा की बढ़ जायेगी ताकत

लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा ने किया है गठबंधन, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीApr 06, 2019 / 03:02 pm

Devesh Singh

Akhilesh Yadav and Shivpal Yadav

वाराणसी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक साथ दो मोर्च पर लड़ाई लड़ रहे हैं। एक तरफ तो पीएम नरेन्द्र मोदी व बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी को मात देना है तो दूसरी तरफ सपा के कैडर वोटरों को अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी में जाने से रोकना है। बीजेपी को चुनावी पटखनी देने के लिए सपा ने बसपा सुप्रीमो मायावती की पार्टी बसपा से गठबंधन किया है और कैडर वोटरों को बचाने के लिए सपा को यह ऐलान करना पड़ा है।
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अखिलेश यादव ने अभी खुद को प्रदेश की राजनीति तक ही सीमित रखने की बात कही है इसके बाद भी लोकसभा चुनाव 2019 में देखते हुए घोषणा पत्र जारी करना पड़ा है। चुनावी घोषणा पत्र के सहारे अखिलेश यादव ने यादव वोटरों को अपने पाले में रखने का प्रयास किया है। यादव महासभा काफी समय से अहीर रेजीमेंट बनाने की मांग कर रहा था और अखिलेश ने इस रेजीमेंट को बनाने की घोषणा कर दी है। सपा ने काफी सोच समझ कर यह ऐलान किया है। सपा जानती है कि शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 के लिए काफी मेहनत कर रही है। शिवपाल यादव की नजर भी यादव वोटरों पर है जिन्हें अपने पाले में करने के लिए शिवपाल यादव सपा से नाराज नेताओं को अपने से जोडऩे में जुटे हैं। ऐसे में सपा ने अहीर रेजीमेंट बनाने की बात करके यादव वोटरों को लुभाने का प्रयास किया है, जिससे लोकसभा चुनाव में सपा की कम न हो।
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मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट से अखिलेश यादव को लडऩा पड़ रहा चुनाव
सपा व बसपा गठबंधन के तहत अखिलेश यादव को अधिक सीट पूर्वी यूपी की मिली है। राहुल गांधी ने पूर्वी यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी को वहां का प्रभारी बनाया है। शिवपाल यादव भी लगातार पूर्वांचल में अपनी पार्टी का जनाधान जुटाने में लगे हैं। ऐसे में अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की संसदीय सीट आजमगढ़ से खुद चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। अखिलेश ने ऐसा करके भी एक तीर से दो शिकार किया है। आजमगढ़ संसदीय सीट से अखिलेश यादव पूर्वांचल के यादव वोटरों में अपनी पैठ मजबूत करेंगे। साथ ही मुस्लिम वोटरों में कांग्रेस की सेंधमारी रोकने का प्रयास करेंगे। अखिलेश यादव की रणनीति कितनी सफल होती है यह तो समय ही बतायेगा। इतना साफ है कि अखिलेश यादव ने लोकसभा के साथ यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के पहले ही पार्टी को खास रणनीति पर लेकर चलना शुरू कर दिया है।
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