राजस्थान पत्रिका के टीम दोपहर 12.30 बजे चाय-नाश्ते के बहाने रेस्टोरेंट पहुंची । वहां रेस्ट्रोरेंट के एक कोने में पांच-छह झोपडिय़ां बनी हुई है, जिन्हें बंद करने की भी पूरी व्यवस्था है। टीम ने वहां मौजूद कर्मचारी से इस संबंध में बातचीत की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई।
सवाल – यहां पर रात में ठहर सकते हैं क्या जवाब – सुबह 10 से रात्रि 12 बजे तक ही ठहर सकते हैं। सवाल – रेट में कोई रियायत है। जवाब – 200 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से लगेंगे।
सवाल – झोपड़ी में तो पलंग नहीं है। जवाब – टेबल ही पलंग का काम करती है। सवाल – झोपड़ी में कोई आ गया तो। जवाब – यहां बिना इजाजत कोई नहीं आता है।
सवाल- पुलिस आ गई तो। जवाब- बेफ्रिक रहो यहां पुलिस नहीं आती। युवक-युवतियों की रहती आवाजाही यह रेस्टोरेंट शहर के बाहर होने के कारण यहां पर युवक-युवतियों की आवाजाही बनी रहती है। यहां आने वाले अधिकांश ग्राहक नियमित है। इसके चलते वह सीधे ही झोपड़ी में चले जाते है।
ऐसा ही एक नजारा पत्रिका की टीम को भी वहां पर देखने को मिला। झोपड़ी में लगी चटाई को नीचे गिराकर बंद कर दिया जाता है, जिससे कोई बाहर का व्यक्ति झोपड़ी में देख ना सके।