इन ऊर्जा का असंतुलन या अशुद्धि घर में वास्तु दोष पैदा करता है। इससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, विशेष रूप से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। शास्त्रों के अनुसार प्रथम सुख निरोगी काया अर्थात शरीर को स्वस्थ रखने में ही सुख है और व्यक्ति का यही प्रथम लक्ष्य भी होना चाहिए। लेकिन कई बार वास्तु दोष आपका यह सुख छीन लेता है और न दवा काम करती है और न ही परहेज।
इसके अलावा घर में कलह, धन संपत्ति और करियर की परेशानी को भी न्योता देती हैं। इसलिए घर के बाहर हमें हल्के नीले, सफेद, पीले, नारंगी, क्रीम आदि हल्के रंगों का उपयोग करना चाहिए। वहीं घर के भीतर हर कमरे और उसकी दीवारों का रंग वास्तु अनुसार चुनना चाहिए, क्योंकि इनका हमारे जीवन पर बड़ा असर होता है।
भूलकर भी इन रंगों से न कराएं पेंटिंग
डॉ. व्यास के अनुसार दीवारों पर रंग-रोगन भी ध्यान से कराना चाहिए। काला या गहरा नीला रंग वायु रोग, पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द, नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर, गहरा लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटना का कारण बन सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्के एवं सात्विक रंगों का प्रयोग करना चाहिए।वास्तु शास्त्र के अनुसार, ध्यान रहे कि आपके भवन की दीवारें एकदम सही सलामत हों, उनमें कहीं भी दरार या रंग रोगन उड़ा हुआ या फिर दाग-धब्बे आदि न हों वरना वहां रहने वालों में जोड़ों का दर्द, गठिया, कमर दर्द, सायटिका जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
घर के भीतर दीवारों का ऐसा रहे रंग
उत्तर की दीवार का कलर
घर का उत्तर का भाग जल तत्व प्रधान होता है और वायु से जुड़ी होती है। यह धन और लक्ष्मीजी का भी स्थान है, इसलिए इस स्थान को स्वच्छ, पवित्र और खाली रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार इसकी साज-सजा में हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। उत्तर-पूर्व की दीवार का रंग
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा ईशान कोण कही जाती है। मान्यता है कि इस दिशा में देवताओं का निवास होता है। यह दिशा भगवान शिव की भी दिशा भी मानी जाती है। इस दिशा में आकाश ज्यादा खुला होता है। इस दिशा की दीवार का रंग आसमानी, सफेद या हल्के बैंगनी रंग का होना चाहिए। हालांकि इसमें पीले रंग का प्रयोग इसलिए करना चाहिए, क्योंकि यह देवी और देवताओं का स्थान होता है।पूर्व की दीवार का रंग
वास्तु शास्त्रियों के अनुसार पूर्व की दीवार पर सफेद या हल्के नीले रंग का कलर करना चाहिए।दक्षिण-पूर्व की दीवार का कलर
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार घर का दक्षिण-पूर्व का भाग अग्नि तत्व प्रधान होता है। इसे आग्नेय कोण भी कहते हैं। इस स्थान पर किचन रखना चाहिए। इस स्थान की साज-सज्जा में नारंगी, पीले या सफेद रंग का प्रयोग करना चाहिए।इस रंग से पेंट करें दक्षिण की दीवार
दक्षिण भाग में नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इससे स्फूर्ति और उत्साह बना रहेगा। यदि यहां शयन कक्ष है तो गुलाबी रंग का प्रयोग कर सकते हैं।इस रंग से पेंट करें दक्षिण-पश्चिम की दीवार
वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पश्चिम को नैऋत्य कोण के नाम से जाना जाता है। दक्षिण पश्चिम की दीवार या कक्ष के हिस्से को भूरे, ऑफ व्हाइट या भूरा या हरे रंग से रंगना चाहिए।पश्चिम की दीवार का रंग
घर का पश्चिम भाग वरुणदेव का स्थान होता है, ये जल के देवता हैं। पश्चिम की दीवार या कक्ष के लिए नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। आप नीले रंग के साथ बहुत कम मात्रा में सफेद रंग का उपयोग भी कर सकते हैं।पश्चिम-उत्तर की दीवार का रंग
पश्चिम उत्तर दिशा वायव्य कोण के नाम से जानी जाती है। वायव्य दिशा में बने ड्राइंग रूम में हल्का स्लेटी, सफेद या क्रीम रंग का प्रयोग भी किया जा सकता है।इन रंगों से भी रंग सकते हैं दीवार
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर की दीवार को हरा, ईशान कोण को पीला, पूर्व दिशा को सफेद, आग्नेय दिशा में नारंगी या सिल्वर, दक्षिण दिशा में नारंगी, गुलाबी या लाल, नैऋत्य दिशा में भूरा या हरा, पश्चिम दिशा में नीला और वायव्य कोण में स्लेटी या सफेद रंग से दीवार पेंट करा सकते हैं।डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।