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लखनऊ

महिला कंडक्टरों के सहारे बदल रही है यूपी रोडवेज की तस्वीर

उत्तर प्रदेश के रोडवेज विभाग में कंडक्टर पदों पर महिलाओं की भागीदारी और सड़कों पर महिला कंडक्टरों के सहारे दौड़ती बसें एक अलग ही तस्वीर दिखाती हैं।

लखनऊJan 29, 2018 / 04:07 pm

Laxmi Narayan

upsrtc
लखनऊ. देश के पिछड़े राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश में कुछ मामूली से दिखने वाले बदलाव बड़े बदलाव की ओर इशारा करते दिख रहे हैं। महिलाओं के प्रति अपराधों के मामलों में अव्वल राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश के रोडवेज विभाग में कंडक्टर पदों पर महिलाओं की भागीदारी और सड़कों पर महिला कंडक्टरों के सहारे दौड़ती बसें एक अलग ही तस्वीर दिखाती हैं। उत्साह से लबरेज इन महिला परिचालकों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी में महिलाएं मिथकों को तोड़ते हुए उन पेशों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं, जिन पदों को अभी तक पुरुषों के लिए आरक्षित माना जाता था।
2016 में शुरू हुई नियुक्ति

यूपी रोडवेज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मामले में बड़ा निर्णय साल 2016 में हुआ जब कंडक्टर के 1300 पदों पर भर्ती नियुक्ति निकाली गई और राज्य लोक सेवा आयोग के मानकों के मुताबिक 20 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये गए। इस भर्ती में 300 से ज्यादा महिलाओं की कंडक्टर के रूप में भर्ती हुई और यूपी रोडवेज में एक तरह से यह एक बड़ा बदलाव था। इन 300 महिलाओं के अलावा 200 अन्य महिलाओं को भी कंडक्टर के रूप में मृतक आश्रित कोटा के तहत नियुक्ति दी गई। इस पूरी प्रक्रिया में 532 महिलाओं को रोडवेज में कंडक्टर के रूप में शामिल किया गया।
कई तरह की सामने आती हैं समस्याएं

प्रदेश में रोडवेज की एसी और नॉन एसी दोनों ही बसों में महिला कंडक्टरों की तैनाती की गई है। महिला कंडक्टरों के लिए जहां अलग-अलग तरह के यात्रियों से संवाद करना एक चुनौती की तरह होती है तो दूसरी ओर पुरुष ड्राइवरों से तालमेल मिलाना भी एक कठिन काम साबित होता है। कई महिला कंडक्टरों को जहां पुरुष चालकों से सहयोग मिलता है तो कई महिलाओं को यह भी शिकायत रहती है कि उन्हें पुरुष चालकों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। इन सबके बीच कई बार यात्रियों से भी कहासुनी की नौबत सामने आ जाती है।
विभाग में दिख रहा है परिवर्तन

रोडवेज विभाग के अफसर जहां समस्याओं को स्वीकार करते हैं तो दूसरी ओर इससे होने वाले परिवर्तन का भी उल्लेख करते हैं। यूपीएसआरटीसी के मुख्य महा प्रबंधक एच एस गाबा कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 2016 में पहली बार नीतिगत रूप से निर्णय लेते हुए परिचालकों के रूप में महिलाओं की भर्ती का निर्णय लिया गया। वे यह भी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में सड़कों पर महिलाओं को परिचालकों के रूप में जिम्मेदारी देना एक चुनौती भी थी। वे कहते हैं कि महिला परिचालकों के साथ यात्रियों द्वारा दुर्व्यवहार और चालकों के असहयोग की भी शिकायतें सामने आईं। धीरे-धीरे समस्याएं दूर हो रही हैं और बदलाव दिखाई दे रहा है।

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