उत्पीड़न से परेशान होकर गुलफ्शा ने घर छोड़ दिया। सूरज उसे लेकर बरेली के मढ़ीनाथ स्थित अगस्त्य मुनि आश्रम आश्रम पहुंचा। आचार्य केके शंखधार को अपनी मोहब्बत के बारे मे बताया। दोनों के बालिग होने के प्रपत्र दिए। इसके बाद आचार्य ने गुलफ्शा का शुद्धिकरण कराकर विवाह कराया। गुलफ्शा ने अपना नाम बदलकर अब रोशनी पाल के रूप में नई पहचान मिली। रोशनी पाल ने कहा कि वह पांच बहनें हैं। सूरज से रिश्ते के बाद घर परिवार वालों ने उत्पीड़न की सारी हदें पार कर दीं। मुस्लिम धर्म में महिलाओं का सम्मान नहीं है। सनातन हिंदू धर्म में महिलाओं का सम्मान होता है। शुरू से ही हिंदू धर्म में आस्था थी, इसलिए सूरज संग जीवन बिताने का संकल्प लिया है।