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वैशाख का शुभारंभ, ऐसे पूजन करने से मिलेगी भगवान विष्णु की विशेष कृपा, जल पिलाने पर भी मिलेगा पुण्य

हिंदू पंचांग का दूसरा महिना बैशाख का शुभारंभ 24 अप्रैल बुधवार से हो गया है जो 23 मई तक चलेगा। वैशाख, विशेष रूप से श्रीहरि, देवी और परशुरामजी की उपासना का महीना है। इस महीने में खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।

बरेलीApr 24, 2024 / 04:28 pm

Avanish Pandey

बरेली। हिंदू पंचांग का दूसरा महिना बैशाख का शुभारंभ 24 अप्रैल बुधवार से हो गया है जो 23 मई तक चलेगा। वैशाख, विशेष रूप से श्रीहरि, देवी और परशुरामजी की उपासना का महीना है। इस महीने में खासतौर से भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। साथ ही माना जाता है कि जो भी इस माह में किसी एक भी व्यक्ति को जल पिला दे तो उससे ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव भी प्रसन्न हो जाते हैं। इस वैशाख माह में आध्यात्म, जनसेवा, संयम,अहिंसा और स्वाध्याय करने से कभी नहीं खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
ग्रथों के अनुसार वैशाख महीने में क्या है खास
आचार्य पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि ग्रथों के अनुसार वैशाख का महीना 27 नक्षत्रों में से एक विशाखा नक्षत्र से संबंधित है। विशाखा नक्षत्र से संबंधित होने के कारण इस महीने को वैशाख मास के नाम से जाना जाता हैं। स्कंद पुराण में वैशाख मास को पुण्यार्जन मास की संज्ञा देते हुए माधव मास कहा गया है, जो कृष्ण का ही एक नाम है। इस महीने में स्नान-दान करने से कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस महीने में पीपल और तुलसी पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा करने से कई यज्ञों का पुण्य मिलता है। साथ ही जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को करियर में तरक्की के साथ ही अच्छा स्वास्थ्य भी रहता है। इसके अलावा घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
वैशाख माह में बढ़ जाती है गर्मीं
वैशाख माह में गर्मीं बढ़ जाती है। इस समय में तेल से तली भुनी चीजों को खाना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं रहता है। इस दौरान समस्त देवी-देवता भी जल में निवास करते हैं। इसलिए वैशाख में जल दान करने की परंपरा है। इस मास में नदी स्नान और नदी किनारे स्थित तीर्थ दर्शन करने का विशेष महत्व है। जो लोग वैशाख में तीर्थ यात्रा करते हैं, उन्हें धर्म लाभ के साथ ही मानसिक और शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। मन को शांति मिलती है,सकारात्मकता बढ़ती है। वैशाख मास में पक्षियों के लिए भी पानी और अनाज की व्यवस्था करनी चाहिए। तीर्थ यात्रा करते हैं तो पितरों के लिए तर्पण आदि शुभ कार्य भी जरूर करना चाहिए।
यह है धार्मिक महत्ता
स्कंदपुराण में बताया गया है कि इस महीने में महीरथ नामक राजा ने वैशाख स्नान से ही बैकुंठधाम की प्राप्ति कर ली थी। इसमें व्रती को प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व किसी तीर्थस्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो पाए तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और पुण्य प्राप्त हो जाएगा। विष्णु-पूजा, गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान करने से मन चाह फल मिलता है। इस महीने को माध्व मास भी कहा जाता है। इस महीने भगवान विष्णु को पंचामृत और तुलसी जल का भोग लगाने की मान्यता है। सफेद और पीले पुष्प चढ़ाने से पूजा विशेष फलदायी बन जाती है।
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का करें जाप
वैशाख मास में यदि आप व्रत नहीं कर सकते हैं तो व्रत महात्म्य की कथा सुनना चाहिए। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का रोजाना कम से कम 11 बार जप करना चाहिए। व्रत रखने वाले को एक समय भोजन करना चाहिए। वैशाख मास में जरूरतमंद लोगों को कम से कम साफ जल पिलाने की व्यवस्था जरूर करें। इस माह में पानी पिलाने की व्यवस्था करवानी चाहिए। पंखा, फल, आदि का दान करना चाहिए।

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