1. स्केलिंग प्रणाली का उन्मूलन: समान अवसर की दिशा में अहम कदम
UPPSC ने अभ्यर्थियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए PCS मुख्य परीक्षा से स्केलिंग प्रणाली को समाप्त कर दिया है। पहले स्केलिंग प्रणाली की वजह से मानविकी और हिंदी माध्यम के छात्रों के अंक प्रभावित होते थे, जबकि विज्ञान विषय और अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के अंक बढ़ जाते थे। अब, समान प्रश्नपत्र की व्यवस्था के साथ, सभी अभ्यर्थियों को एक समान अवसर प्राप्त होगा। इससे परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता का संचार होगा।
2. सिर्फ सरकारी और वित्त पोषित संस्थानों को बने परीक्षा केंद्र
आयोग ने यह निर्णय लिया है कि अब केवल सरकारी और अशासकीय वित्त पोषित शिक्षण संस्थानों को ही परीक्षा केंद्र के रूप में चुना जाएगा। स्व-वित्त पोषित संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि परीक्षा में नकल और धांधली की संभावनाओं को रोका जा सके। इस कदम से प्रतियोगी छात्रों को निष्पक्ष और शुचितापूर्ण परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।
3. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग
परीक्षा प्रणाली में नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला लागू कर इसे पारदर्शी बनाया गया है। जहां परीक्षाएं विभिन्न पालियों में होती हैं, वहां नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया से अभ्यर्थियों के अंकों का सटीक मूल्यांकन संभव होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राधाकृष्णन समिति ने भी परीक्षा प्रक्रिया में इस फॉर्मूले का सुझाव दिया था, और पुलिस भर्ती परीक्षा में भी इसे अपनाया गया था। UPPSC ने अभ्यर्थियों के सुझावों का स्वागत करते हुए इस प्रक्रिया को अपनाया है।
4. साक्षात्कार प्रक्रिया में कोडिंग सिस्टम
साक्षात्कार प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए अब अभ्यर्थियों के नाम, श्रेणी, और अन्य व्यक्तिगत जानकारी को छुपाने के लिए कोडिंग सिस्टम लागू किया गया है। इस प्रक्रिया में अभ्यर्थियों को एक विशेष कोड दिया जाता है, जिससे साक्षात्कार पैनल के सदस्यों को यह जानकारी नहीं होती कि वे किस अभ्यर्थी का साक्षात्कार ले रहे हैं। इससे साक्षात्कार में पक्षपात की संभावनाएं समाप्त होती हैं, और सभी को समान अवसर मिलता है। 5. फूलप्रूफ उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को और भी गोपनीय एवं सटीक बनाने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की गई है। उत्तर पुस्तिकाओं पर अभ्यर्थी का रोल नंबर नहीं, बल्कि एक विशेष कोड अंकित किया जाता है, जिससे परीक्षक को यह नहीं पता चल पाता कि वह किस अभ्यर्थी की कॉपी जांच रहा है। इस प्रणाली के अंतर्गत, एक परीक्षक एक दिन में अधिकतम 25 कॉपियां जांच सकता है, और इसके बाद एक अन्य परीक्षक उसकी कॉपियों का क्रॉस-चेकिंग करता है। यह प्रक्रिया त्रुटि रहित और गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन सुनिश्चित करती है।
6. वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) की सुविधा
अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए वन टाइम रजिस्ट्रेशन (OTR) सुविधा शुरू की गई है। OTR प्रणाली के तहत अभ्यर्थियों को केवल एक बार पंजीकरण कराना होता है, जिसके बाद वे 40 वर्ष की आयु तक अपनी योग्यता और अनुभव को अपडेट कर आवेदन कर सकते हैं। इससे आवेदन प्रक्रिया सरल और सुगम बनी है, और लगभग 19.5 लाख अभ्यर्थियों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। 7. गलत प्रश्न तैयार करने पर सख्त कार्रवाई
आयोग ने गलत प्रश्न और उत्तर तैयार करने वाले विशेषज्ञों पर भी सख्त कार्रवाई की है। 2024 में 186 विशेषज्ञों को आयोग के गोपनीय कार्यों से डिबार किया गया है, और 44 विशेषज्ञों के नाम अन्य आयोगों में भी भेजे गए हैं ताकि उनके कार्यों की जिम्मेदारी तय की जा सके।
8. समयबद्ध चयन प्रक्रिया
आयोग ने समयबद्धता और गुणवत्ता के साथ चयन प्रक्रिया पूरी करने का संकल्प लिया है। 2023-24 में पीसीएस परीक्षा की चयन प्रक्रिया केवल 6 माह में पूरी की गई, जबकि अन्य परीक्षाओं की चयन प्रक्रिया भी निर्धारित समय के भीतर पूरी हुई। आयोग का दावा है कि निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ यह कदम भर्ती प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बना रहा है। UPPSC द्वारा किए गए ये सुधार परीक्षा प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध बनाने के उद्देश्य से किए गए हैं। यह न केवल अभ्यर्थियों के हित में है, बल्कि इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा प्रणाली में एक नया मानक स्थापित किया है। इस पहल से अभ्यर्थियों में आयोग के प्रति विश्वास बढ़ा है और यह परीक्षार्थियों को निष्पक्षता और गुणवत्ता के साथ चयन प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।