अतीक ने हाई स्कूल में फेल हो जाने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ देने के बाद अतीक अहमद ने जुर्म की दुनिया की तरफ अपना रूख किया। अतीक अहमद जल्द ही अमीर बनना चाहता था। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था।
अतीक रंगदारी के अलावा खनन और सरकारी काम का ठेका लेना शुरू कर दिया। इसके बाद अतीक की पूर्वांचल और इलाहाबाद में तूती बोलने लगी। अतीक पर दर्ज है 44 मुकदमा साल 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने अतीक अहमद का कच्चा चिट्ठा जारी किया। जिसमें बताया कि अतीक अहमद के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट और इलाहाबाद के अलावा बिहार राज्य में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा केस गैंगस्टर एक्ट में है। उपलब्ध आंकड़े के अनुसार अतीक के खिलाफ 44 मुकदमें दर्ज हैं।
अतीक अहमद क्राइम की दुनिया में अपनी नाम बना लिया था। अब उसे समझ में आ गया था कि अगर अपने वर्चस्व को कायम रखना है तो सियासत में अपनी पैठ बनानी होगी। इसके बाद अतीक ने राजनीति की तरफ अपना रूख किया।
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तीन चुनाव जीत चुके अतीक को मुलायम सिंह का साथ मिला। 1996 में अतीक को सपा ने टिकट दिया। इस बार अतीक समाजवादी पार्टी के विधायक बने। सांसदी की चाह में छोड़ी सपा, फिर सपा से ही बने MP
चार बार विधायक बन चुके अतीक अब सांसद बनना चाहते थे। साल 1999 आते ही अतीक ने समाजवादी पार्टी को छोड़कर अपना दल (सोनेलाल पटेल) का दामन थाम लिया। अपना दल के टिकट पर उन्होंने प्रतापगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2002 में इसी पार्टी से वह फिर विधायक बन गए। 1999 से लेकर 2003 तक वह अपना दल के अध्यक्ष रहे।
2003 में यूपी में मुलायम सिंह की सरकार बनी तो अतीक सपा में आ गए। 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक को फूलपुर लोकसभा से टिकट दिया। उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा और सांसद बन गए। अतीक के सांसद बन जाने के बाद इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट खाली हो गई।
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25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में देवी पाल तथा संदीप यादव नामक दो अन्य लोग भी मारे गए थे, जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को आरोपी बनाया गया था।
इसी हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल थे। जिसकी कल यानी शुक्रवार को गोली मारकर कर हत्या कर दी गई। इसका आरोप भी माफिया अतीक अहमद पर लग रहा है। फिलहाल अतीक गुजरात की एक जेल में बंद है।
अतीक अहमद और उनके गुर्गे ने राजूपाल हत्याकांड के गवाहों को धमकाना शुरू कर दिया। लेकिन मुलायम सिंह की सत्ता जा चुकी थी और बसपा की सरकार बन गई थी। जिसमें वह कामयाब नहीं हो सके।
बीएसपी ने अतीक पर कसा शिकंजा बसपा की सरकार आने के बाद अतीक अहमद पर मायावती ने शिकंजा कसना शुरू किया। पुलिस ने ऑपरेशन अतीक चलाया। पुलिस और विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने अतीक अहमद की एक खास परियोजना अलीना सिटी को अवैध घोषित करते हुए उसका निर्माण ध्वस्त कर दिया। इसके अलावा दो माह के अंदर ही अतीक अहमद के खिलाफ इलाहाबाद में 9, कौशाम्बी और चित्रकूट में एक-एक मुकदमा किया गया।
इसी बीच सपा सांसद अतीक अहमद के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ। गिरफ्तारी के डर से बाहुबली सांसद अतीक फरार हो गए। उनके घर, कार्यालय सहित पांच स्थानों की सम्पत्ति न्यायालय के आदेश पर कुर्क की जा चुकी थी। अतीक अहमद की गिरफ्तारी पर पुलिस ने बीस हजार रुपए का इनाम रखा गया था और पूरे देश में अलर्ट जारी किया गया था।
दिल्ली में हुई गिरफ्तारी अतीक अहमद ने पुलिस को गिरफ्तारी देने के लिए एक योजना भी बनाई। इनाम और वांरट जारी होने के 6 माह बाद दिल्ली पुलिस ने पीतमपुरा के अपार्टमेंट से अतीक की गिरफ्तारी हुई। उस समय अतीक ने कहा था कि उनकी जान की खतरा तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती हैं।
साल 2012 के चुनाव में राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने अतीक अहमद के बाहुबल को बड़ा झटका दिया। विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अतीक ने अपना दल से पर्चा भरा। इलाहाबाद हाई कोर्ट में बेल की अर्ज़ी दी लेकिन 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। 11वें जज सुनवाई के लिए राजी हुए अतीक को जमानत दे दी।
पूजा पाल से मिली मात अतीक के पास अब अपने सियासी बाहुबल को बचाने का अंतिम मौका था। वो खुद पूजा पाल के सामने उतरा, लेकिन जीत नहीं पाया। राज्य में सपा की सरकार बनी और अतीक एक बार फिर साइकिल पर सवार हो गए।
2016 में मुलायम सिंह यादव के परिवार में राजनीतिक विरासत की खींचतान चल रही थी। इसी बीच सपा ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की। मुलायम चाहते थे कि अतीक अहमद को टिकट मिले और अतीक को कानपुर कैंट से उम्मीदवार बनाया भी गया।
इसी बीच14 दिसंबर 2016 को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया। अतीक अहमद और उसके 60 से ज्यादा समर्थकों पर इलाहाबाद के एक कॉलेज में जाकर मारपीट और धमकाने का वीडियो सुर्खियों में आ गया।
इसके बाद अखिलेश यादव ने अतीक का टिकट काट दिया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, “पार्टी में अतीक जैसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। इस पर अतीक ने अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए कहा, ”कई बार निर्दलीय जीता हूं, टिकट कटता है तो कट जाए, अपना टिकट खुद बना लूंगा”।
मुरादाबाद से निर्दलीय लड़ा चुनाव फरवरी 2017 में कोर्ट के आदेश पर अतीक को गिरफ्तार कर लिया गया। हाईकोर्ट ने सारे मामलों में उसकी जमानत रद्द कर दी और उसे जेल जाना पड़ा। मुरादाबाद से निर्दलीय पर्चा भरने वाला अतीक चुनाव भी हार गया।
अतीक और उसके गैंग ने 2017 से पहले तक हमेशा क़ानून व्यवस्था को चुनौती दी, लेकिन गुनाहों का ये सिलसिला पुलिस की नज़रों में खटकने लगा। इसी बीच अतीक अहमद ने जेल में बैठकर इतना बड़ा कांड करवाया दिया। वह अपना खौफ बरकरार रखने के लिए बड़ी गलती कर बैठा।
लखनऊ से बिजनेसमैन को किया गया किडनैप 26 दिसंबर 2018 को अतीक गैंग ने लखनऊ से एक बिजनेसमैन को किडनैप कर लिया। वें लोग बिजनेसमैन को सीधे देवरिया जेल लेकर गए। वहां पर उसे पीटा और पूरी घटना का वीडियो बना करके सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
इसके बाद अतीक अहमद को देवरिया से बरेली सेंट्रल जेल भेजा गया, लेकिन वहां के जेल प्रशासन ने अतीक को रखने से इनकार कर दिया। लोकसभा चुनाव में सुरक्षा की नजर से देखते हुए अतीक को प्रयागराज की नैनी जेल में शिफ्ट किया गया। देवरिया जेल कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अदालत ने पूरे मामले केस को सीबीआई के पास ट्रांसफर कर दिया।
साबरमती जेल में किया गया शिफ्ट 23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि अतीक अहमद को यूपी से बाहर शिफ्ट किया जाए। 3 जून 2019 को उसे अहमदाबाद की साबरमती जेल में शिफ्ट कर दिया गया। फिलहाल अतीक वहीं पर हैं।